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Tulsi care- तुलसी का पौधा हर कोई लगाता है। हिंदू धर्म में तुलसी प्लांट की बहुत मान्यता है। तुलसी के पौधे की लोग पूजा करते हैं। तुलसी के पौधे के सूखने के कई कारण होते हैं। आपके घर में लगा तुलसी का पौधा बिना बात के सूख रहा है, तो ये लेख आपकी मदद करेगा। आज हम आपको आपकी कुछ ऐसी गलतियों के बारे में बताएंगे जिसके कारण तुलसी प्लांट सूख जाता है। 

तुलसी प्लांट सूखने के कारण (Reasons for drying of basil plant)

मौसम में बदलाव (change in weather)

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तुलसी का पौधा बदलते मौसम के साथ अक्सर सूख जाता है। कई लोगों का मानना है कि ये सर्दी या गर्मी में मरता है। बारिश के मौसम में भी ये सूख जाता है। तुलसी के पौधे के लिए 21℃ से 27℃ के बीच का तापमान सही रहता है। अगर इससे ज्यादा या कम तापमान है, तो पौधा खराब हो सकता है। गर्मी के मौसम में तुलसी उगती हैं, आप इन्हें तेज धूप से बचाएं। सर्दी में ये सुप्तावस्था में चली जाती है। सर्दियों में इसे पानी नहीं देना है। ज्यादा या कम पानी डालने पर या फंगस के कारण ये मर जाती है। मौसम में उतार-चढाव तुलसी को पसंद नहीं है। 

गलत मिट्टी के कारण (due to wrong soil)

ज्यादातर प्लांटस की तरह तुलसी भी गलत मिट्टी होने के कारण सूखती है। अगर आप मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार नहीं करेंगे तो ये सूख जाएगी। आपको संतुलित मिट्टी तैयार करनी है, जो सभी पोषक तत्वों से भरपूर हो।मिट्टी का अनुपात 40:30:30 रखना है।  40% मिट्टी, 30% खाद और 30% रेत के साथ कुछ सूखी पत्तियाँ, 1 ग्राम फफूंदनाशक, 1 मुट्ठी नीम की खली।इस प्रकार तैयार मिट्टी से जड़ों को ऑक्सीजन मिलती रहती है और लंबे समय तक पानी रुकने की समस्या नहीं होती, जिससे जड़ें सड़ती नहीं हैं।

गलत गमले का चुनाव (choosing the wrong pot)

Filling Pot with Soil

गलत गमले का चुनाव पौधे के विकास में रुकावट डालता है। आपका तुलसी प्लांट बार-बार सूख रहा है, तो आप इसे सही आकार के गमले में लगाएं। तुलसी के लिए मध्यम आकार का गमला सही रहता है। आप 10 इंच लंबाई व चौड़ाई वाले गमले का चुनाव करें। ज्यादा छोटा गमला भी पौधे के मरने का कारण है। छोटा गमले में पौधा जल्दी सूख जाएगा और बडे़ गमले में नमी ज्यादा हो जाएगी। आप तुलसी के लिए मिट्टी का गमला चुनें। 

उचित केयर नहीं मिलने पर सूखता है पौधा (The plant dries up if it is not given proper care)

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बहुत से लोग तुलसी के पौधे को लगाकर छोड़ देते हैं। तुलसी का पौधा थोड़ी केर मांगता है। आपको लगाने के हर 15 दिन में इसकी गुड़ाई करनी चाहिए। इसमें पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना जरुरी है। आप महीने में एक बार वर्मीकंपोस्ट या गोबर की खाद डाल सकते हैं। नीम खली का प्रयोग भी इसमें करें। पौधे को धूप दिखाएं और उचित मात्रा में पानी दें। तुलसी का पौधा दोनों समय पानी की मांग करता है। मिट्टी में नमी जांच करके पौधे में पानी दें। 

ज्यादा पानी या कम पानी (more water or less water)

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धार्मिक मान्यता के अनुसार लोग तुलसी के पौधे में पानी डालते हैं। तुलसी की पूजा करना लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। बहुत बार घर का हर सदस्य तुलसी में पानी डालता है। जिससे पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है। आपके घर में ऐसा हो रहा है, तो आप इसको रोकें। तुलसी में थोडा-थोडा़ पानी डालें। रविवार को तुलसी में पानी नहीं डालते। गर्मी में ऐसा करना कई बार पौधे को झुलसा देता है। ज्यादा बारिश है तो आप पौधे को शेड में रखें। बारिश का पानी आप इकट्ठा कर सकते हैं। जरुरत पड़ने पर बाद में इसका इस्तेमाल पौधों में करें। 

मंजरी आने के बाद सूखता है प्लांट (The plant dries up after flowering)

किसी भी पौधे पर जब बीज बनते हैं, तो वो सूखने लगता है। क्योंकि पौधे का सारा पोषण बीज बनने में लग जाता है। तुलसी के पौधे पर मंजरी आ रही हैं, तो आप इन्हें हटा दें। ये मंजरी आपके पौधे का सारा पोषण सोख लेती है। 15 दिनों के अंतराल में आप ये मंजरी पौधों से अलग करते रहें। सूखी हुई मंजरी से आप नया पौधा उगा सकते हैं। 

गलत समय पर छंटाई करना (pruning at the wrong time)

जिस प्रकार गुलाब और मोगरे को प्रूनिंग की जरुरत है। वैसे ही तुलसी का पौधा भी समय पर छँटाई की मांग करता है। तेजी से ग्रोथ के लिए जरुरी है कि आप पौधे की छँटाई करें। ऐसा करने पपर नई कोंपलें फूटती है और पौधा घना होता है। कई बार जानकारी के अभाव में गलत समय पर छंटाई पौधे को नुकसान पहुंचाती है। साल में तीन बार पौधों की छंटाई करें। फरवरी, बरसात और अक्तुबर का पहला हफ्ता पौधों की छंटाई के लिए सही है। 

संक्रमण से पौधा होता है खराब (Plants get damaged due to infection)

पौधों पर पेस्ट का अटैक होना लाजिमी है। चीटिंयो का आतंक पौधे पर ज्यादा होता है। आप चीटिंयों से पौधे को बचाएं। इसके लिए पत्तियों पर हल्दी वाला पानी छिड़कें। आप जड़ों में भी हल्दी पाउडर डाल सकते हैं। चीटिंया पौधे को खराब कर देती है। इसलिए इनसे बचाव का तरीका आपको पता होना जरुरी है। तुलसी के पौधों को एफिड्स, व्हाइटफ्लाइज और स्पाइडर माइट्स संक्रमित कर सकते हैं। ये कीट पौधे के रस को खाते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और सूख जाता है।

जरुरत से ज्यादा पत्ते तोड़ने पर (plucking more leaves than necessary)

पूजा पाठ में तुलसी का इस्तेमाल होता है। कई बार इसके पत्तों का भोग लोग लगाते हैं। तुलसी के पत्तों को ज्यादा तोड़ना भी इसके सूखने का कारण है। महीने में एक या दो बार पत्ते तोड़ना बड़ी बात नहीं है। लेकिन रोजाना चार पांच पत्ते तोड़ना इसके लिए सही नहीं है। इससे पौधे पर उलटा असर पड़ता है और ये मर जाता है। आप पत्ते तोड़ रहे हैं, तो अलग-अलग गमलों में तुलसी के पौधे लगाएं। आप विषम संख्या में तुलसी के पौधे अपने घर में लगा सकते हैं। 

पुराना होने पर सूखता है प्लांट (Plant dries up as it gets old)

पौधों को सूख जाना प्राकृतिक क्रिया है। जब पौधा ज्यादा पुराना हो जाता है, तो वो खत्म हो जाता है। तुलसी का पौधा ज्यादा से ज्यादा एक साल तक चलता है। इसकी जड़े पतली होती हैं, इस वजह से ये जल्दी सूख जाता है। आप तुलसी के पौधे की रिपॉटिंग समय पर करें। आप दूसरा तुलसी का पौधा लगाएँ। आप सूखे हुए पौधों को मिट्टी में दबा दें या जल में प्रवाहित कर दें। आप किसी पौधे की मिट्टी में भी इसको दबा सकते हैं। 

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