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हमारा समाज पितृसत्तात्मक समाज है, सदियों से यहां परपंरा चली आ रही है,कि जो अधिकार पुरुषों को प्राप्त है, वो समान अधिकार महिलाओं को प्राप्त नहीं होते। लेकिन आधुनिकता की अगर बात करें तो महिलाओं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। महिलाएं घर की चारदिवारी से बाहत तो निकल गई हैं लेकिन सुरक्षित नहीं हैं।

घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं महिलाएं

सुरक्षा के लिहाज से अगर देखा जाए तो, अपने घर में हर कोई सुरक्षित होता है, लेकिन महिलाएं घर पर भी सुरक्षित नहीं हैं। घर के अंदर भी महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है। घरेलू हिंसा कोई नई हिंसा नहीं है। सदियों से इस हिंसा की आंच महिलाओं को जलाती आ रही है।

बचपन से दी जाती है महिलाओं को ये शिक्षा

हमारे समाज में महिलाओं को बचपन से यह शिक्षा दी जाती है कि पति की सेवा उसकी इच्छा पूरी करना उसका धर्म है। अनुशासन में रहना उसकी मर्यादा है। समय के साथ महिलाओं की सोच तो बदली है, महिलाएं शिक्षित तो हुई है, लेकिन वो सुरक्षित नहीं हो पाई हैं। महिलाओं पर अनेकों प्रकार की हिंसा होती है। बचपन से ही उसको इस हिंसा का सामना करना पड़ता है, लेकिन घर की औरते ही उसको चूप रहना सिखाती हैं।

इन कारणों से होती है महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार

घरेलू हिंसा का शिकार लगभग हर महिला होती है। कभी दहेज नहीं लाने पर, कभी बेटी पैदा होने पर,पति के गुस्से के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। बेटी के पैदा होते ही उसके साथ भेदभाव होना शुरू हो जाता है। जब वो अपनी आजादी के लिए आवाज उठाना चाहती है तो विद्रोही समझा जाता है। डांट फटकार के उसको चूप करवाया जाता है। ये सब घरेलू हिंसा है।

हर महिला होती है पुरुष के सत्तात्मक रवैये का शिकार

यह देखा जाता है कि एक महिला अपने परिवार मे कभी पिता द्वारा कभी भाई द्वारा तो कभी पति द्वारा या घर के अन्य सदस्य के सत्तात्मक रवैये का शिकार होती है। महिलाएं पुरुषों के गुस्से का, मारपीट का या अन्य यातनाओं का शिकार होती हैं। कबी शराब की वजह से, कभी शक की वजह से, पति अपनी पत्नी पर हाथ उठाता है। उसे मानसिक प्रताड़ित करता है।

समाज की सोच है कि विवाह के बाद पत्नी पर पति का एकाधिकार हो जाता है, वो जो चाहे उसके साथ कर सकता है।उसका अपमान कर सकता है, उसके साथ मारपीट कर सकता है, जबरदस्ती कर सकता है, उस पर रोक लगा सकता है, उसकी भावनाओं को कुचल सकता है।

घरेलू हिंसा में क्या आता है

घरेलू हिंसा का मतलब है किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार क हिंसा करना या उसको प्रताड़ित करना। अगर किसी के साथ मारपीट होती है या मानसिक रुप से किसी को परेशान किया जा रहा है, पैसे नहीं दिए जा रहे, लैंगिक शोषण हो रहा है ये सब घरेलू हिंसा में आते हैं।

घरेलू हिंसा के प्रकार

शारीरिक हिंसा

मारपीट करना, थप्पड़ मारना, ठोकर मारना, धकलेना, काटना या अन्य प्रकार की शारीरिक पीड़ा जब कोई सदस्य आपको पहुंचाता है तो वो शारीरिक हिंसा में आता है।

मानसिक हिंसा

जब आपको घर का कोई सदस्य मानसिक रुप से परेशान कर रहा है, तो ये मानसिक हिंसा में आता है

  • लड़का नहीं होने पर परेशान करना।
  • रंग, रुप आदि को लेकर परेशान करना।
  • किसी बात को लेकर आप पर दबाव बनाना।
  • पसंद के व्यक्ति से विवाह करने से रोकना।
  • किसी विशेष व्यक्ति से विवाह करने का दबाव बनाना।
  • रोजगार चलाने के लिए रोकना।
  • नौकरी छोड़ने के लिए प्रेशर डालना।
  • जबरदस्ती विवाह करवाना।
  • आत्महत्या करने की धमकी देना।
  • सबकुछ सही होने पर भी किसी व्यक्ति विशेष से मिलने से रोकना, प्रतिष्ठा का उल्लंघन करना या नीचा दिखाना भी हिंसा में शामिल होता है।

मौखिक हिंसा

 बार-बार अपमान करना, गालिंया देना, चरित्र आचरण पर दोषारोपण करना, दहेज नहीं लाने पर ताने मारना, अश्लील वाक्य बोलना,ऐसी बातें बोलना जो आपके मान को ठेस पहुंचाती है वो सब मौखिक हिंसा में आती है।

आर्थिक हिंसा

खर्चे के लिए आपको पैसे नहीं देना, बच्चों के खाने कपड़े या दवाईयों के लिए पैसे नहीं देना भी आर्थिक हिंसा में शामिल होता है।

लैगिंक हिंसा

अश्लील साहित्य या अश्लील तस्वीर, वीडियो देखने के लिए विवश करना, बुरा बर्ताव करना, इच्छा नहीं होने पर संभोग करना, अन्य अस्वीकार्य लैगिंक कार्य करना लैगिंक हिंसा में आता है।

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