इन दिनों नेचर लवर्स के बीच में बोनसाई का ट्रेंड काफी बढ़ा है। इसके लिए लोग बाजार से Bonsai tree खरीद कर लेकर आते हैं, जोकि काफी महंगे भी पढ़ते हैं। वहीं हम इसकी वायरिंग, सरफेस रूट, हेयर रूट और मिट्टी के बारे में बारीकी से जान लें तो हम खुद भी आसानी से घर पर ही बोनसाई तैयार कर सकते हैं। जिसके लिए कोई अतिरिक्त पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ती। इस लेख में Bonsai Expert मंगत सिंह जी हमें बोनसाई के इन्हीं विशेष पहलूओं पर विस्तृत जानकारी देंगे। 82 वर्षीय मंगत सिंह ने अपनी छत पर 500 से ज्यादा Bonsai Tree तैयार किए हैं। उन्होंने बोनसाई पर हिंदी विषय में किताब भी लिखी है, जो अभी पब्लिश होनी बाकी है।
ऐसे तैयार करें बोनसाई
बोनसाई, बड़े पेड़ का छोटा रूप है। इसके लिए हमें उसके आकार को छोटा और आकर्षक बनाना होती है। इसके लिए हम किसी भी छोटे पेड़ की मोटी जड़ों को काट देते हैं। इसमें पेड़ हेयर रूट्स के सहारे जीवित रहता है। मंगत सिंह का कहना है कि बोनसाई में हेयर रूट बोनसाई की soul हैं। इस पौधे की मोटी रूट्स को काट दिया जाता है। इसके बाद पौधे में जो भी जड़ें आती हैं वे हेयर रूट होती हैं। हेयर रूट ही पौधे को जिंदा रखती हैं। हेयर रूट्स बिल्कुल बालों की तरह होती हैं। जो पतली होती हैं एवं बढ़ती रहती हैं। ये ही पौधे को भोजन पहुंचाती हैं7
बोनसाई के लिए जरूरी हैं रीपॉटिंग
बोनसाई में समय-समय पर रीपॉटिंग जरूरी हैं। रीपाटिंग के दौरान मौटी और बड़ी जड़ों को काट दिया जाता है। हर तीन साल मे रीपॉटिंग जरूरी हैं। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो जड़ें बढ़ती जाएंगी। आपका पॉट भी टूट सकता है। पेढ़ का आकार बढ़ जाता है। इससे वह बोनसाई का रूप नहीं ले पाएगा। मंगत सिंह का कहना है रीपाटिंग पौधों के ऑप्रेशन की तरह है। इसे सावधानी पूर्वक किया जाना जरूरी है।
बोनसाई में वायरिंग
मंगत सिंह का कहना है कि बोनसाई में वाटरिंग और वायरिंग बेहद जरूरी पहलू हैं। दोनों की अपनी अलग टेक्निक है।
- वायरिंग से ब्रांचेज(टहनियाें) को शेप दी जाती है। जहां हमें टहनियों को मोड़ना होता है, वहां मोड़ते हैं। याद रखें कि जिस-जिस जगह से ब्रांच मुड़ती हैं वहां से टहनियां उगती हैं। ऐसे में जो भी नई ब्रांच जरूरी है उसे रखें, बाकी को कट करते रहें। मंगत जी का कहना है बोनसाई में क्लैरिटी होनी जरूरी है। यानि हमें वायरिंग करते समय ऐसा डिजाइन किया जाए कि उसकी पत्तियां, टहनियां सब दिखें। बोनसाई में सिर्फ ग्राेथ नेचुरल होती है। बाकी सब खुद क्रिएट करना पड़ता है।
वायरिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखें
- वायरिंग करते समय ध्यान रखें कि तार एल्म्यूनियम का होना चाहिए।
- वायरिंग में 45 डिग्री का गैप देना चाहिए।
- वायर हमेशा टहनी से चिपका होना चाहिए।
- हर दो महीने के बाद वायर खोलना जरूरी है।
- बसंत में वायरिंग को खोलना जरूरी है। क्योंकि इन दिनों पेड़ मोटा होता है। जिससे वायरिंग के निशान पड़ जाते हैं। अगर पेड़ पर वायरिंग के निशान पड़े तो इससे आपके पेड़ की वैल्यू कम हो जाएगी।
- जगह बदलकर दोबारा वायरिंग की जा सकती है।
- इसके लिए सिर्फ एल्यूमीनियम की ही वायर का इस्तेमाल करें। लोहे की वायर काफी गर्म होती है जो पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।
बॉनसाई की मिट्टी में क्या जरूरी
सामान्य पेड़ों की मिट्टी से बॉनसाई के पेड़ों की मिट्टी अलग होती है। मंगत सिंह का कहना है कि बोनसाई की मिट्टी में कॉयले के टुकड़े, ईंट के टुकड़े, गोबर की खाद, पत्तों की खाद, नीम की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, रेत, चॉक के टुकड़े आदि मिक्स किए जाते हैं। चॉक के टुकड़ों से चीटिंयां नहीं लगती हैं।