compost-गार्डन में बागवान तमाम प्रकार की खाद यूज करते हैं। सबसे बेस्ट खाद जो कही जाती है वो पत्तों से तैयार खाद है। ये सस्ता तरीका है, पौधों को हराभरा रखने का। किचिन वेस्ट और पत्तों से खाद तैयार करना बहुत आसान है।
जो बड़े स्तर पर बागवानी करते हैं, उनके पास पत्तों और टहनियों का ढेर होता है। इन पत्तों का खाद के रुप में यूज काफी लाभकारी है। अलग-अलग पौधों के पत्तों में अलग-अलग गुण होते हैं।
पत्तों से तैयार खाद पौधे को संपूर्ण पोषण देती है। कटाई-छंटाई के बाद आप इन पत्तों और टहनियों से खाद बना सकते हैं। मुरझाए और सूखे फूल भी इसमें डालें। आज हम आपको बोरे में खाद बनाने का आसान तरीका बताएंगे।
खाद बनाने का तरीका
- आप खाद बनाने के लिए बोरों का यूज कीजिए।
- 2-3 इंच तक सूखे पत्ते बिछाएं।
- उसके बाद गीला कचरा इसमें डालें।
- किचिन से निकला तमाम वेस्ट इसमें डालें।
- आप कार्डबोर्ड, न्युजपेपर का यूज भी कर सकते हैं।
- बोरों को आप किसी शेड के नीचे रख सकते हैं।
- आप इसमें चायपत्ती डालेंगे तो खाद जल्दी तैयार होगी।
- ब्राउन और ग्रीन लेयर आपको बनानी है।
- वेस्ट डी कंपोजर लिक्विड का यूज आप कर सकते हैं।
- हवा के संचार के लिए छेद आप बोरों में कर सकते हैं।
- आपको नमी इनमें बनाएं रखनी है।
ऐसे करें यूज
खाद में आपको हल्की नमी बनाएं रखनी है। इससे सूक्ष्मजीव नष्ट नहीं होगें। तैयार होने के बाद इसे आप बड़ी छलनी से छान लें। जो मेटेरियल डी कंपोस्ट नहीं हुआ है, वो अलग रह जाएगा। उसको आप दोबारा बोरे में डी कंपोस्ट होने के लिए डाल दें।
अंडे के छिलके, मूंगफली के छिलके और अन्य कई चीजें डी कंपोस्ट होने में थोड़ा समय लेती हैं। ये खाद आपके पौधों के लिए सबसे बेस्ट है। इसको डालने के बाद आपको मार्केट से खाद खरीदने की जरुरत नहीं पडे़गी।
पत्ती खाद के फायदे
- पौधों को तमाम पोषक तत्व प्रदान करती है।
- पौधों की जड़े मजबूत होती है।
- अच्छी ग्रोथ पौधे करने लगते हैं।
- इसको बनाना काफी आसान और सस्ता है।
- पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- इससे नेचर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
- किचिन और गार्डन से निकला वेस्ट काम आ जाता है।
खाद देने के तरीके
- मिट्टी में खाद को अच्छी तरह से मिक्स कर दें।
- पानी में घोलकर भी आप इसको पौधों में दें सकते हैं।
- पत्तियों पर इसका स्प्रे नहीं करना है।
- सीमित मात्रा में इसका प्रयोग करें।
- रिजल्ट के लिए खाद को सही तैयार होने दें।
नोट- किसी बीमारी से संंक्रमित पत्तियों और टहनियों का प्रयोग न करें।
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