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वानप्रस्थ संस्था में कृषि विकास की चुनौतियों को लेकर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विश्वविद्यालय हिसार के पूर्व प्रोफेसर और जाने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आर बी श्रीवास्तव व अन्य लोगों ने शिरकत की। इस मौके पर डॉ. श्रीवास्तव ने संबोधित करते हुए कहा कि केवल फसलों का न्यूनतम मूल्य बढ़ाने से कृषि लाभकारी व्यवसाय नहीं बनेगा। इसके लिए कृषि को बाजारोन्मुखी बना कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार से जोड़ना होगा।

अब उत्पादनों की क्वालिटी, प्रतिस्पर्धी मूल्य व समय पर सप्लाई के जरिए ही टिका जा सकता है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि किसान को प्रगतिशील किसानों के उदाहरण देने चाहिए ताकि अन्य किसाननवाचार करने, टेक्नोलॉजी और कृषि व्यापार के नए ढंगों को अपनाने के लिए प्रेरित हो सके। गोष्ठी में कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसरों डॉ राणा, प्रो खरब, प्रो. जे के डांग, प्रो. सुदामा अग्रवाल के अलावा दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के पूर्व चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर डीपी ढुल तथा दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह शामिल थे।

व्हाट्सएप ग्रुप्स बना करें समस्याओं का निदान

डॉ. श्रीवास्तव डॉ. आर एस परोदा की अध्यक्षता में गठित हरियाणा किसान आयोग के सलाहकार रहे हैं। इन्होंने 2019 में वर्तमान कृषि विज्ञान केंद्रों को सूचना टेक्नोलॉजी पर आधारित ज्ञान केंद्रों व नॉलेज सेंटरों में बदलने की अनुशंसा की। ताकि ये केन्द्र किसानों को आधुनिक ज्ञान व प्रशिक्षण देकर उनका समयानुकूल सशक्तिकरण कर सकें। किसानों के व्हाट्सएप ग्रुप्स बना कर केंद्र उनकी समस्याओं का निदान करें।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आया सकारात्मक परिवर्तन

प्रो श्रीवास्तव ने प्रगतिशील किसानों के बारे में बताया। इन्होंने हरियाणा के सुल्तानसिंह का मछली उत्पादन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और देश विदेश में बिक्री का उदाहरण दिया। बेबी कार्न और स्वीट कार्न की आधुनिक खेती व सफल व्यवसायीकरण करने वाले सोनीपत जिले के कमल सिंह चौहान का भी ज़िक्र किया । एक अन्य उदाहरण उन्होंने उत्तर प्रदेश के टुंडला के पास के नारकी, गांगिनी आदि गांवों का दिया जहां किसानों ने शिमला मिर्च जैसी सब्जियों का आधुनिक तकनीकों से उत्पादन और व्यापार के माध्यम से सैंकड़ों युवाओं को रोज़गार दिया । जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आया है।

कृषि में सोलर ऊर्जा के उपयोग को भी मिले बढ़ावा

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में अपने पैतृक गांव का ज़िक्र करते हुए प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि टेक्नोलॉजी व व्यवसायीकरण अपनाने से गांव की आर्थिक हालत अच्छी हो गई है। कुछ युवाओं ने ट्रैक्टर व थ्रेशर से कस्टम हायरिंग का काम शुरू कर दिया है। तकनीकों को अपनाने से जमीन उपजाऊ बन गई है। तालाब खत्म हो गए हैं। बरगद, नीम और पीपल जैसे विशाल पेड़ भी गांव में बहुत कम हो गए हैं। यही पेड़ विषैली गैसों को सोखने का बड़ा काम करते थे। तालाब भूजल स्तर ठीक बनाने में योगदान करते थे। इस तरह की गलतियों को गांवों में सुधारने की आवश्यकता है। कृषि में सोलर ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण भी कृषि के लिए बड़े मुद्दे बन रहे हैं।

सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में जाए

प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी डीलर के ज़रिए न देकर सीधे किसान के बैंक खाते में दी जानी चाहिए। ग्रीनहाउस की वास्तविक लागत और सब्सिडी के माध्यम से बनाए गए ग्रीनहाउस की लागत बेमेल होती है जिससे किसान स्वयं को ठगा हुआ पाता है इसी तरह का सिलसिला अंडरग्राउंड सिंचाई के पाइपों को लेकर भी है। इस व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।

कृषि की हिंदी में छोटे वीडियो तैयार करके सांझा करें

अधिकतर किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को अंग्रेजी में लिखी रिपोर्टों की सही जानकारी नहीं है। इसीलिए प्रो श्रीवास्तव ने सरल हिंदी में छोटे वीडियो तैयार किए हैं जिन्हें वे किसानों व कृषि से जुड़ी संस्थाओं को भेजते रहते हैं। वहीं, कृषि कानूनों को वापस लेने का जिक्र करते हुए कहा कि- असल में सरकार किसानों को इनका सही महत्व नहीं समझा सकी और इसीलिए इन्हें वापस लेने पड़ा।

मिलावट के कारण चावल की खेप आ रही वापस

भारत गेहूं और चावल के मामले में जरूरत से बहुत ज्यादा उत्पादन कर रहा है पर हमारा निर्यात पूरा नहीं हो पा रहा है । ऑस्ट्रेलिया फार्टीफाइड और धूल रहित गेहूं लेकर आ गया है जबकि हमारे गेहूं में पेस्टीसाइड मिलता है। मिलावट के कारण चावल की कई खेप वापस आ गई थीं। हम चीनी समय पर निर्यात नहीं कर सके, इसलिए ऑर्डर रद्द हो गए।

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दादरी, रेवाड़ी व अन्य स्थानों पर लॉजिस्टिक हब बने

वहीं, डा० श्रीवास्तव ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं विभाग द्वारा फार्टीफाइड, हीट टालरैंट व अधिक पैदावार देने वाली किस्मों के विकास पर सराहनीय काम करने पर खुशी जाहिर की । डा० श्रीवास्तव ने कहा- देश में बंदरगाहों व बाजारों तक माल ढुलाई के लिए रेलवे के दो डेडीकेटिड फ्रैट कोरीडोर्स, एक्सप्रेसवेज व जलमार्ग बनने तथा दादरी, रेवाड़ी व अन्य अनेकों स्थानों पर लॉजिस्टिक हब बनने से कृषि व अन्य निर्यात को बढ़ावा मिलेगा रोजगार बढ़ेंगे, स्किल्ड मानव संसाधनों की मांग बढ़ेगी। अत: किसानों व युवाओं को उसी दिशा में सोचने व पहल करने की आवश्यकता है

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