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Written by : RANJANA SINGH

कुछ साल पहले तक मां छोटे बच्चों काे सूती कपड़े के घर पर बने नैपी पैड पहनाया करती थी। लेकिन इनको बार-बार बदलना पड़ता था । इससे एक बात की तसल्ली तो रहती थी, कि बच्चे को कोई इंफेक्शन नहीं होगा। आज के समय में मां-बाप बच्चों को डायपर पहनाकर इस परेशानी को कुछ हद तक कम कर लेते हैं । पर शायद उन्हें ये एहसास नहीं होता कि इससे बच्चे को कितनी परेशानी होती है। खासकर नवजात शिशु को।

हालांकि रेडीमेड डायपर के उपयोग से बहुत सारे फायदे भी होते हैं। जैसे- नवजात शिशु की नींद में खलल नहीं पड़ती। माता-पिता के बिस्तर भी गीले नहीं होते है। बच्चे को सफ़र में ले जाने से भी मिलती है राहत । तो आइये जानते हैं डाइपर पहनाने और उसका प्रयोग कैसे करते हैं ।

डाइपर पहनाने का सही तरीका

डायपर बदलने के दौरान सारा समान अपने पास रखें । सारा समान पास में रखने से आपको किसी और की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने एक हाथ को हमेशा शिशु पर रखें जिससे वह रोल न हो। अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा एक्टिव है तो उसे खिलौने से विचलित करें। गंदे डायपर हटा दें। अपने शिशु के पैरों को एक हाथ से पकड़ें और डायपर को हटाने के लिए दूसरे हाथ का उपयोग करें।

स्वच्छ डायपर का करें प्रयोग

यह पूरी तरह से जान लें कि ताजा डायपर लगाने से पहले आपके शिशु का बम पूरी तरह से सूख गया है। अपने शिशु के लिए पैंट स्टाइल डायपर का चुनाव करें । क्योंकि उन्हें लगाना और डिस्पोज़ करना आसान है। लीकेज की संभावना को भी कम करते हैं। लंबे समय तक शिशु को आरामदायक स्थिति में सूखा रखते हैं। पैंट स्टाइल की डायपर लगाने के लिए, सामने और पीछे back and front पर ध्यान दें। और डायपर को ऊपर चढ़ा दें । जहां डायपर पहनाने के इतने सारे फायदे होते हैं । वहीं जरा सी भी लापरवाही बरतने पर शिशु की नाजुक त्वचा में संक्रमण होने का खतरा हो सकता है ।

शिशु को डाइपर से होने वाले संक्रमण

डायपर ऐसे मटेरियल से बनाया जाता है । जो बच्चे के पेशाब को अब्सॉर्ब करता है। यही पदार्थ आपके शिशु के डायपर के अंदर हवा जाने से रोकते हैं। जिसकी वजह से बैक्टीरिया और जर्म्स पैदा होने लगते हैं। डायपर का बहुत ज्यादा उपयोग करने से इन्फेक्शन होने का भी खतरा होता है।

स्किन रैशेज का कारण बनता है

बच्चों को डायपर रैशेज होना बहुत आम है। यदि गीले डायपर में बच्चे को लंबे समय के लिए छोड़ दिया जाए तो गीले गंदे डायपर में बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं जिससे रैशेज हो जाते हैं। इसलिए बच्चे का डायपर बदलती रहें और साफ सफाई रखें ताकि उन्हें रैशेज की समस्या कम से कम हो।

फंगल संक्रमण

बच्चे की त्वचा पर पेशाब से नमी लंबे समय तक बनी रहती है। इससे बच्चे की त्वचा पर बैक्टीरिया और कवक के लिए प्रजनन स्थल बन सकता है। यदि बार-बार सफाई नहीं की जाती है और उचित स्वच्छता नहीं रखी जाती है। तो इससे बच्चे के निजी क्षेत्रों में फंगल संक्रमण होने का खतरा बना रहता है ।

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