देश में इस बार रिकॉर्ड क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है। लेकिन बढ़ी गर्मी इस बार उत्पादन पर असर डालेगी। इसी कारण रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं होने की उम्मीद है। भारत गेहूं का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। लेकिन बढ़ी गर्मी इस बार गेहूं की हालत खराब कर सकती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। पिछले साल गर्मी ने गेहूं पर सितम बरपाया था। इस बार किसानों को उम्मीद थी कि किसानों को गेहूं में बंपर उम्मीद मिलेगी लेकिन मौसम के जो मौजूदा हालात बन रहे हैं। पिछले साल लू के चलते गेहूं की उत्पादकता घटी थी। देश में गेंहू का उत्पादन महज 10.77 करोड़ टन रह गया था।
उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में तापमान बहुत तेजी से बढ़ा है। लेकिन इससे भी अधिक गौर करने वाली बात यह है कि तापमान में हुए फेरबदल के कारण जनवरी का महीना सबसे ठंडा और सीजन के हिसाब से फरवरी सबसे गर्म हो गई है। अन्य कई राज्यों में भी गेहूं की इसी तरह से हालत बेहद खराब बताई जा रही है।
इस साल एक बार फिर आधी फरवरी में ही तापमान बहुत अधिक गर्म हो गया है। पिछले सीजन में गेहूं पर गेहूं के असर ने उत्पादन को खासा प्रभावित किया था। इससे गेहूं के उत्पादन को बड़े पैमाने पर प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है. गेहूं की फसल को क्या नुकसान होगा. इसको लेकर केंद्र सरकार के स्तर से एक निगरानी कमेटी का गठन भी कर दिया गया है. इस कमेटी की अध्यक्षता कृषि आयुक्त करेंगे।
जुलाई से जून तक वर्ष 2022-23 सीजन में गेहूं का की पैदावार 11.22 करोड़ टन होने का अनुमान है। इसके पीछे वजह यही है कि देश में पिछले साल के सापेक्ष इस बार गेहूं का रकबा बढ़ा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान अधिक होने का उतना असर मुश्किल ही जमीन पर देखने को मिलेगा। इसके पीछे वजह है कि देश में गेहूं की तापमान रोधी पफसल की अधिक बुवाई हुई है।