शहरी जीवन में तोंद बढ़ना एक आम समस्या हो गई है। हर कोई अपने बढ़ते वजन से परेशान है। पेट की चर्बी को घटाने के लिए लोग जिम का सहारा लेते रहे हैं। लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है। तौंद घटाने के लिए लोग अब जिम का नहीं बल्कि गार्डनिंग का सहारा ले रहे हैं। क्योंकि इसमें पैसा खर्च किए बगैर ही आपकी तोंद कम हो जाती है। इसके साथ ही कई बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही साथ फल और सब्जियां भी फ्री की मिलती हैं।
तो दोस्तों आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह गार्डनिंग के जरिए लोग अपने बढ़ते वजन को कम कर सकते हैं।
कैसे मिलती है मोटापे से मुक्ति
बागवानी में सबसे तेजी से कैलोरी बर्न होती है। क्योंकि इस दौरान हम मिट्टी खोदना, पौधे लगाना, पौधों को पानी देना जैसी कई गतिविधियों में लगातार लगे रहते हैं। जिसकी वजह से तेजी से कैलोरी बर्न होती हैं। इससे तोंद को कम करने में मदद मिलती है। पूरे शरीर का वजन कम होता है। इसके साथ ही लगातार काम करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। हमारा पाचन तंत्र बिल्कुल स्वस्थ रहता है। जिससे हम आसानी से अपने मोटापे को कम कर सकते हैं। बहुत से अध्ययनों में यह बात साबित हुई है की बागवानी कैलोरी बर्न करने का एक अच्छा स्रोत है।
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मानसिक तनाव करें कम
बागवानी सिर्फ शारीरिक तनाव करने का ही काम नहीं करती। बल्कि मानसिक तनाव को भी काम करती है। प्रकृति के नजदीक जाकर हम सुकून महसूस करने लगते हैं। प्राकृतिक रचनाओं के बीच हम हर दिन की भाग दौड़ को भूल जाते हैं। जिसकी वजह से हमें तनाव से मुक्ति मिलती है। गार्डन हमारे घर का सबसे शांतिप्रिय स्थान हो सकता है।
मोटापा कम करने के लिए जरूर करें यह गतिविधि
- मिट्टी को खुरपी या फावड़े की मदद से खुद से तैयार करें
- गमलों को एक जगह से दूसरी जगह खुद उठाएं
- गमले में स्वयं ही पौधे लगाए
- हर दिन सुबह शाम पौधों में पानी दें
- पौधों की रीपॉटिंग खुद करें
- गार्डन में माली न रखें
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गार्डनिंग कैसे करती है बीमारियों से बचाव
- जोड़ों का दर्द कर ठीक- गार्डन की मदद से बहुत सारे लोगों के जोड़ों का दर्द ठीक हुआ है। क्योंकि गमले एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, मिट्टी खोदना जैसी गतिविधियों से हमारे जॉइंट्स फिर से काम करना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से जोड़ों के दर्द से मुक्ति होती है। मेरठ की करुणा गोयल का कहना है कि वह 5 साल से अर्थराइटिस की प्रॉब्लम से परेशान थी लेकिन जैसे ही उन्होंने गार्डनिंग शुरू की उनकी अर्थराइटिस की प्रॉब्लम दूर हो गई। इसके साथ ही थोड़ा सा चलने पर उनकी सांस फूल जाती थी, अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का बढ़ना: मिट्टी और प्रकृति के बीच बने रहने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
- कैमिकल रहित सब्जियां व फल: गार्डन में उगाई गई सब्जी और फलों को खाने से हमें केमिकल रहित भोजन मिलता है। साथ ही विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं जो हमारी सेहत के लिए जरूरी है।
- स्क्रीन टाइम में कटौती: गार्डनिंग के दौरान हम स्क्रीन की दुनिया से बेहद दूर हो जाते हैं जिसकी मदद से हमारी आंखों को राहत मिलती है।
- पास्परिक संबंध सुधरते हैं: गार्डनिंग की मदद से पारस्परिक संबंध सुधारते हैं। क्योंकि इस दौरान हम बिना स्क्रीन टाइम के एक दूसरे से बातें करते हैं।
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