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चाणक्य नीति: हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग  रहते हैं, जो बहुत ही नीच हरकत करते हैं। ऐसे लोग हमें परेशानी में डालने के अलावा कोई काम के नहीं होते। आचार्य चाणक्य के अनुसार ये लोग गीदड़ की भांति होते हैं, जो अपनी नीच हरकतों की वजह से साथ में रहने वालों को परेशान करते हैं। इस लेख में जानते हैं कि ये इंसान के रुप में गीदड़ जैसे लोग कौन होते हैं?

गीदड़ के सामान होते हैं ये लोग

दान नहीं देने वाले

जिन लोगों ने कभी किसी वस्तु का दान नहीं दिया वो गीदड़ के सामान होता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसा व्यक्ति नीच प्रवृत्ति का होता है। दान देना शुभ होता है। हमारे पास कुछ देने योग्य है, तो हमें जरुरतमंद को उस चीज का दान अवश्य देना चाहिए।

वेद-शास्त्रों को बुरी नजर से देखने वाले

आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग वेद शास्त्रों में रुचि नहीं लेते या इनको बुरा बताते हैं, ऐसे लोग गीदड़ की भांति होते हैं। ये अच्छे इंसानों की गिनती में नहीं आते हैं।

गुरू और माता-पिता का अपमान करने वाला

जो शख्स अपने माता-पिता और गुरू की सेवा नहीं करता वो, पशु की भांति होता है। इस दुनिया में गुरु और माता-पिता की सेव को सर्वोत्तम बताया गया है। इसलिए गुरू और माता-पिता का कभी अपमान नहीं करना चाहिए।

गलत तरीके से पैसा कमाने वाला

जो इंसान अपनी आजिविका चलाने के लिए गलत तरीके से पैसे कमा रहा है, तो वो पुरुष नीच होता है। अपने भले के लिए किसी का अनिष्ट करना सही नहीं है।

अभिमान करने वाला

जिस इंसान में घंमड होता है, जो हर बात पर दूसरों को नीचा दिखाकर अपने आप पर गर्व करता है वो पशु की भांति होता है। इसलिए इंसान को कभी भी अपने आप पर गर्व करना शोभा नहीं देता।

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