हाल ही में हुई कई रिसर्च में ये साबित हो चुका है कि लंबे, स्वस्थ जीवन का रहस्य घर के बगीचे में छिपा है। यहां तक कि 100 साल तक जीने का राज भी बागवानी को बताया गया है।
बता दें कि शास्त्रों में इंसान की उम्र 100 साल तक बताई गई है। हालांकि अब यह उम्र सिर्फ कहानियों और किस्सों में ही नजर आती है। इसके बावजूद बुजुर्गों द्वारा अभी भी ‘जीवेत शरद: शतम्’ यानि सौ वर्ष तक जीने का आर्शीवाद दिया जाता है। लेकिन दुनिया में अभी भी ऐसी जगह हैं जहां लोग 100 साल से भी ज्यादा जीते हैं। इन क्षेत्रों को ब्लू जोन कहा जाता है। जिसमें जापान का ओकिनावा द्वीप, कोस्टा रिका में निकोया, ग्रीस में इकारिया और कैलिफोर्निया में लोमा लिंडा और इटली का सार्डिनिया शामिल है। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक जापान में इंसानों की औसत आयु सबसे ज़्यादा है। इन सभी क्षेत्रों के बाशिंदों के जीने का अंदाज एक जैसा है। इन सभी में बागवानी करने की आदत समान है।
लंबी उम्र तक जीते हैं बागवान
बढ़ती उम्र को रोकने का काेई रामबाण इलाज नहीं है, लेकिन विज्ञान मानता है कि बढ़ती उम्र के साथ बागवानी हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर देती है। यहां से बुजुर्गों को सूरज की रोशनी और ताजी हवा मिलती है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार डीन ब्यूटनर ने दुनिया भर में पांच स्थानों का अध्ययन किया है। इस बात को साबित किया गया है कि बागवान लंबे समय तक जीवित रहते हैं। इसके साथ ही वेकम तनावग्रस्त होते हैं। विभिन्न प्रकार के अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं, जो बागवानी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों की ओर इशारा करते हैं।
36 फीसदी कम मिली मानसिक बीमारियां
आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं की एक रिसर्च के मुताबिक 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाएं जो नियमित रूप से बागवानी करते हैं, उनमें मनोभ्रंश का खतरा 36% कम होता है। जापान में खुद को री-इनवेंट करने की जीवन संस्कृति इकिगाई है। यह एक जीवन मंत्र है, जिसे परिवार के बुजुर्ग हर बच्चे को सिखाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो इकिगाई का मतलब है- सुबह उठने का कारण। वहां के निवासी कहते हैं कि जो कोई भी स्वस्थ रूप से बूढ़ा हो जाता हैजीने का कारण चाहिए होता है। बागवानी आपको हर दिन के लिए कुछ न कुछ नया करने का कारण देती है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार जो लोग हरियाली से घिरे रहते हैं वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। यह साबित हुआ है कि बागवानी या खेती से जुड़े लोगों में कैंसर या श्वसन संबंधी बीमारियों के विकसित होने की संभावना कम होती है। वहीं विदेशों में डॉक्टर अब रक्तचाप, शुगर जैसी बीमारियों के साथ मानसिक बीमारियों में सुधार के लिए प्रकृति के बीच रहने की सलाह देते हैं।
किस तरह बागवानी करती है काम
तनाव कम करे:
वरिष्ठ नागरिकों के तनाव को दूर करने का काम बागवानी करती है। मोबाइल स्क्रीन पर केंद्रित दुनिया में यदि आप पौधों के बीच में जीवन व्यतीत करते हैं तो शांति और सुकून मिलता है। जिससे तनाव कम होता है। जर्नल एजिंग एंड में एक अध्ययन से पता चला है कि बागवानी से वृद्ध वयस्कों में बेहतर नींद, कम तनाव और बढ़े हुए आत्मसम्मान का अनुभव हुआ है।
पोष्टिक भोजन व जड़ी बूटियां
बागवानी के माध्यम से सीधे फल, सब्जियां और जड़ी-बूटियां मिलती हैं। इससे बुजुर्गों को पुरस्कृत और संतुष्टिदायक अनुभव भी होता है। इससे बुजुर्गों को पौष्टिक और संतुलित आहार मिलता है।
विटीमिन डी का स्त्रोत
बागवानी में समय बिताते समय बुजुर्ग सीधे धूप के संपर्क में रहते हैं। यह उनके शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाता है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आवश्यक है।
शारीरिक गतिविधि
वरिष्ठ नागरिक बागवानी में नियमित व्यायाम करते हैं। बागवानी के दौरान गमले में लगे पौधों को उठाना, मिट्टी खोदना, पानी लगना जैसे व्यायाम करते हैं। इससे शारीरिक गतिविधि उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों से छुटकारा मिलता है। प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाए
बागवानी बुजुर्गाें में सेरोटोनिन हार्माेन के स्तर को बढ़ाने का काम करता है, जिससे तनाव से राहत मिलती है। बागवानी वरिष्ठ नागरिकों को मानसिक रूप से सक्रिय, व्यस्त और खुश रखती है।
सामाजिक संबंध बनाए
बागवानी एक दूसरे को जोड़ने का काम करती है। इसके माध्यम से लोग पौधों के देन लेन के लिए मिलते हैं। प्रतियोगिताओं में शामिल होते हैं।