ख़ुशी हो या गम, उत्साहित मन हो या शांत जीवन की हर स्थिति में संगीत हमें भाता है। खुद को नकारात्मक परिस्थितियों से वापस लाने के लिए संगीत को एक विकल्प के तौर पर अपनाते हैं। लेकिन आज हम यहां संगीत के गुणों की बात नहीं करेंगे बल्कि उन संगीतज्ञों की बात करेंगे जो हेडफोन लगाते ही अवतरित हाे जाते हैं। हैडफोन या ईयरफोन लगते ही खुद को लता मंगेशकर और अरिजीत सिंह समझने लगते हैं।
वास्तव में तो संगीतज्ञ कुछ वाद्य यंत्रों और सुरील आवाज के संजोग से संगीत का निर्माण करते हैं। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे संगीतकार भी हैं जो हैडफोन लगाते ही बन जाते हैं। जहां संगीतकार की आवाज जादू के तौर पर होती है तो इनकी आवाज श्राप के तौर पर। लेकिन कानों में संगीत की धुन बजते ही ये अपनी धुन में शुरू हो जाते हैं।
हैडफोन लगाते ही खुद को सुरीला समझने की गलती करते हैं लोग
भारत वाकई गायकों का देश है। इनका संगीत देश दुनिया को गुनगुनाने पर मजबूर कर देता है। लेकिन जैसे ही हैडफोन का प्रयोग किया जाता है तो बाहर की ध्वनि से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। हम पूरी तरह हैडफोन या ईयरफोन में बज रहे संगीत में रमना शुरू कर देते हैं। इस दौरान हैडफोन की तेज ध्वनि में हम खुद की भी आवाज नहीं सुन पाते हैं। जो अधिकतर समय बेसुरी होती है। हमें सिर्फ हैडफोन की आवाज ही आती है जिसे हम अपनी ही ध्वनि समझने लगते हैं। और मन ही मन खुद को सुरीला समझने की गलती कर बैठते हैं।
हैडफोन लगाने के नुकसान ज्यादा
- हैडफोन या ईयरफोन लगाने से आपके कान और दिमाग दोनों को ही नुकसान पहुंचता है।
- हेडफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हमारी दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित करती है।
- लाउड म्यूजिक सुनने से आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। कानों की सुनने की कैपिसिटी 40-50 डेसिबल तक कम हो सकती है।
- घंटों तक हेडफोन लगाए रखने से दिल की धड़कन तेज हो जाती है। यह दिल के लिए काफी नुकसानदायक है।
- हेडफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती हैं। इससे सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या पैदा हो सकती है।
- इयरफोन एयर पैसेज में बाधा डालता है। यह बाधा कानों के इन्फेक्शन का कारण बनती है।
- हेडफोन का लंबे समय तक इस्तेमाल चिंता और तनाव का भी कारण बन सकता है।