आए दिन खबर पढ़ते हैं, कि चलते-चलते युवा की मौत हो गई, डीजे पर नाचते हुए युवक गिर गया मौत, खाना खाते हुए नौजवान की मौत। ये नौजवानों की मौत का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल लोग इसे हार्ट अटैक से या कार्डियक अटैक से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन नौजवानों में ब्रुगाडा सिंड्रोम भी मौत का कारण बन सकता है। इस लेख में जानते हैं ब्रुगाडा सिंड्रोम क्या है।
ब्रुगाडा सिंड्रोम क्या है
निजी वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में डॉक्टर रजनीश सरदाना (एडिशनल डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, फ़ोर्टिस, नई दिल्ली) ने बताया कि आजकल हेल्दी लोगों की मौत की खबरें बहुत आ रही हैं, जो चौंका देने वाली होती है। इन मौतों का कारण ब्रुगाडा सिंड्रोम हो सकता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम में दिल की ध्वनि में खराबी आ जाती है यानि की दिल का इलेक्ट्रिकल इम्पल्स खराब हो जाता है। धड़कन में गड़बड़ हो जाती है। अचानक से दिल की धड़कन तेज हो जाती है और ब्लड प्रेशर ड्राप हो जाता है, इससे मरीज की जान भी जा सकती है।
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ब्रुगाडा सिंड्रोम का कैसे पता लगाएं
ब्रुगाडा सिंड्रोम का पता लगाना आसान नहीं होता। ये डॉक्टर की जानकारी पर निर्भर करता है। इसके लक्षण अलग से पता कर पाना मुश्किल होता है, क्योंकि हार्ट अटैक और कार्डियक अटैक में भी ऐसा ही होता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम का पता लगाने के लिए इसीजी किया जाता है और इसमें एक ब्रुगाडा पैटर्न आता है। इसीजी देखने के बाद इसका पता लगाया जा सकता है कि ये खानदान से चला आ रहा है।
ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण
- चक्कर आना
- बेहोशी होना
- धड़कन बिगड़ना
- परिवार में पहले किसी की अचानक मौत हुई हो
- मरीज को तेज बुखार आ जाने पर भी इसका टेस्ट किया जाता है।
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इलाज
जिन परिवारों में ब्रुगाडा पैटर्न हो यानि परिवार में अचानक किसी की ऐसे मौत हुई हो जिसमें ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण हो, तो ऐसे में ICD मशीन लगाने की सलाह दी जाती है। ये छोटी सी मशीन होती है जो दिल की धड़कन को मॉनीटर करती है। दिल की धड़कन में गड़बड़ हो जाती है तो शॉक लगाकर मरीज को बचाया जा सकता है। ऐसा उन मरीजों को करने के लिए कहा जाता है, जो हाई रिस्क पर होते हैं।