सदियों पुराने तांबे के बर्तनों में खिली हरी-भरी ज़िंदगी
Vintage Garden: प्रकृति प्रेमी कबाड़ से जुगाड़ मे माहिर होते हैं। वे प्रयोग में नहीं आ रही चीजों में पौधे उगाने का विचार करते हैं। इसी श्रेणी में आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होेंने पौधे लगाने के साथ ही विरासत को बचाने का भी काम किया है।
द्वारका की रहने वाली प्रेम जी ने अपने घर को एक अद्भुत विंटेज गार्डन में बदल दिया है। उन्होंने विरासत में मिले सदियों पुराने तांबे के बर्तनों को गमलों में बदलकर उनमें विभिन्न प्रकार के पौधे उगाए हैं। यह अनोखा गार्डन न केवल देखने में सुंदर है, बल्कि प्रेम जी के पर्यावरण प्रेम और रचनात्मकता का भी प्रतीक है।
दादा ससुर से विरासत में मांगे बर्तन
प्रेम जी को बचपन से ही बागवानी का शौक रहा है। लेकिन उन्हें सदियों पुरानी चीजों से भी प्यार रहा है। ऐसे में जहां लोग अपने पूर्वजों से जमीन जायदाद का लालच रखते हैं। वहीं इसके विपरीत जब प्रेम जी के ससुर ने उनसे कुछ मांगने के लिए कहा तो उन्होंने पूर्वजों द्वारा इस्तेमाल किए हुए बर्तन व अन्य सामान मांग लिए। उनके दादा ससुर भी यह सुनकर हैरान थे। लेकिन उन्होंने अपनी बहू की सोच की तारीफ की और उन्हें ये सभी बर्तन व अन्य पुराने सामान उपहार स्वरूप दिए। इन बर्तनों को यूं ही रखने के बजाय, उन्होंने इनमें पौधे उगाने का फैसला किया। उन्होंने अपने बागवानी के शौक को पूरा करते हुए एक अनौखा विंटेज गार्डन बना दिया है।
करती हैं कबाड़ से जुगाड़ (best out of waste)
प्रेम जी को कबाड़ से जुगाड़ में बेहद दिलचस्पी है। उन्होंने घर में पड़ी दूध की टंकी, चूल्हा आदि को भी अपने गार्डन में जगह दी है। जिसकी वजह से उनका गार्डन अद्भुत रूप लेता है। उन्होंने अपने गार्डन में कैक्टस, बोनसाई के साथ सभी मौसमी पौधे लगाए हैं। वे सभी पौधों को अपने बच्चों की तरह प्यार करती हैं।
विरासत में पौधे खिलता देख मिलता है सूकून- प्रेम जी
प्रेम जी बताती हैं कि ये विरासत है। ये चीजें संदूक में रखी होती तो शायद बेकार मानी जाती। लेकिन इनमें खिलता फूल मूझे सुकून देता है। मैं किसी भी गमले में पौधे लगा सकती थी लेकिन मैंने इन चीजों को चुना। इन्हें मैं हर दिन अपनी आंखों के सामने देखती हूं। मुझे इन्हें देखकर लगता है जैसे मेरे पूर्वजों का आर्शीवाद हमेशा मेरे साथ रहता है।