इनकम टैक्स रिटर्न भरने का समय आ गया है। इसके लिए टैक्स पेयर्स को टैक्स प्रणाली का चयन करना होगा। जिसमे उनके सामने नई और पुरानी दोनों टैक्स प्रणाली हैं। एक तरफ पुरानी टैक्स प्रणाली में जिसमें छूट का प्रावधान है। नई टैक्स प्रणाली में 7 लाख रुपये तक कोई टैक्स ही नहीं देना है। ऐसे में इस लेख में हम आपको बताएंगे कि यदि आप नई टैक्स प्रणाली चुन रहे हैं तो इसके फायदे कौन से हैं। इसके साथ ही यदि आपको टैक्स रिटर्न भरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना है।
एग्जंप्शन बढ़ा
इस रिजीम में बेसिक एग्जंप्शन लिमिट 2.50 लाख रुपये थी। जिसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया है।अब 3 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को टैक्स देने की चिंता से मुक्ती मिल गई है। पुरानी टैक्स रिजीम में केवल 2.50 लाख रुपये तक की ही छूट है।
6 टैक्स स्लैब
नई टैक्स रिजीम के टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं। बता दें कि नई रिजीम में 6 टैक्स स्लैब हैं। इस स्लैब में 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना है। इसके बाद हर 3 लाख रुपये की बढ़ोतरी पर 5 फीसदी टैक्स बढ़ता जाएगा।
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7.50 लाख रुपये तक की आय टैक्स मुक्त
नई टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय को स्लैब के बाहर रखा गया है। वहीं अगर किसी व्यक्ति की आय 7 लाख रुपये तक नहीं पहुंच रही है तो भी उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी जोड़ दिया जाए तो 7.50 लाख रुपये तक की आय टैक्स मुक्त कर दी गई है।
नई प्रणाली में भी स्टैंडर्ड डिडक्शन
पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन केवल पुरानी टैक्स रिजीम में था। लेकिन नियमों में बदलाव के साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा नई टैक्स प्रणाली चुनने वालों को भी मिलेगा। बता दें कि करदाताओं को 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। 3 लाख से अलग और 50,000 रुपये तक की छूट बगैर किसी दस्तावेज के दे दी जाएगी। इसके साथ ही पेंशनभोगी भी 15,000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।
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