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गुरुग्राम। देश का प्रमुख मेंटल हेल्थ और वेलनेस प्लेटफॉर्म ‘मनस्थली’ ने एक मानसिक रोग से पीड़ित महिला तुलीशा सेनगुप्ता (बदला हुआ नाम) की एक केस स्टडी शेयर की है। इस केस स्टडी में बताया गया है कि कैसे वह थेरेपी की मदद से गंभीर डिप्रेशन और एंग्जाइटी से उबरी हैं। सेनगुप्ता के प्राइमरी केयर डॉक्टर ने जब उनकी अकेलेपन की भावना से पीड़ा, अलगाव और एंग्जाइटी की हालत देखी तो उन्होंने उन्हें मनस्थली जाने का सुझाव दिया।

मरीज ने बताया कि वह कई महीनों से इन लक्षणों से जूझ रही थी। इस दौरान वह अपनी रोजमर्रा की चीजों को भी करने में परेशानी और बाधा महसूस कर रही थी। मनस्थली में आने के बाद उनकी एक व्यापक मानसिक जांच की गयी। इस जांच में उनकी मेडिकल हिस्ट्री को समझा गया और मनस्थली के लाइंसेंस्ड थेरेपिस्ट टीम द्वारा उनका कई बार इंटरव्यू लिया गया। जांच में पता चला कि सेनगुप्ता गंभीर डिप्रेशन और एंग्जाइटी से पीड़ित थी। उनकी जिन्दगी की पर्सनल और प्रोफेसनल चिंताओं ने इन बीमारियों को गंभीर बना दिया था।

कॉगनिटिव बिहेविरियल थेरेपी

तुलीशा सेनगुप्ता 27 साल की हैं। वह लखनऊ की रहने वाली है और वह गुड़गांव में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं। मनस्थली की फाउंडर और डायरेक्टर और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. ज्योति कपूर ने उनका इलाज एक्सपर्ट थेरेपिस्ट से उनका कई थेरेपी सेशन द्वारा किया। मनस्थली की फाउंडर और डायरेक्टर और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ ज्योति कपूर ने तुलीशा सेनगुप्ता के केस के बारे में बताते हुए कहा, “मनस्थली में आने वाली तुलीशा को तुरंत एक कॉगनिटिव बिहेविरियल थेरेपी प्रोग्राम में डाला गया। इस प्रोग्राम में लाइंसेंस्ड मनस्थली थेरेपिस्ट टीम द्वारा हफ्ते-हफ्ते सेशन दिया जाता था। कई महीने के बाद हमारी थेरेपिस्ट टीम ने तुलीशा के साथ उनकी नकारात्मक विचारों के पैटर्न को समझने और पहचानने के लिए काम किया।

स्ट्रेस से बचने के लिए कोपिंग मैकेनिज्म

स्ट्रेस और एंग्जाइटी से लड़ने के लिए कोपिंग मैकेनिज्म भी विकसित किया गया। थेरेपी के जरिये टीम उनके डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मूल कारण यानी जड़ का पता लगाया और टूल्स को विकसित किया जिससे उनके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने यह भी सीखा कि नकारात्मक सेल्फ-टॉक की पहचान कैसे करें और इसे सकारात्मक पुष्टि के साथ कैसे बदलें, साथ ही स्ट्रेस और एंग्जाइटी को मैनेज करने के लिए माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास कैसे करें।”

भावनाओं पर किया नियंत्रण

मनस्थली ने हाल ही में कॉर्पोरेट सेक्टर में महिलाओं को उनकी मेंटल वेल-बीइंग के लिए सहयोग देने की अपनी पहल की घोषणा की है। कॉर्पोरेट सेक्टर की कई महिलाओं को काम के बढ़ते दबाव, लैंगिक भेद और अपने साथियों और सहकर्मियों से समर्थन की कमी के कारण मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों से जूझने की सूचना मिली है।
सेनगुप्ता के केस में जैसे-जैसे थेरेपी आगे बढ़ी, उन्होंने अपनी भावनाओं पर अधिक नियंत्रण हासिल किया और रोजमर्रा जीवन की चुनौतियों का मैनेज करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हुईं। उन्होंने परिवार और दोस्तों के साथ अपने संबंधों में सुधार के साथ-साथ अपने जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार को भी महसूस किया।

लोगों के लिए जरूरी है थैरेपी

डॉ कपूर ने कहा, “आज, तुलीशा ने अपना थेरेपी प्रोग्राम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अब अच्छे से उबर रही हैं। वह थेरेपी में सीखी गई तकनीकों का अभ्यास करना जारी रखे हुए है और भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए एक मजबूत सपोर्ट नेटवर्क विकसित किया है। हमें इस बात पर गर्व है कि हमने उनके ठीक होने में अहम भूमिका निभाई है और हम उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य को मैनेज करने के लिए आवश्यक टूल्स प्रदान करने में सक्षम हैं। हम आशा करते हैं कि यह केस स्टडी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम करेगी और उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को काबू में करने के लिए आवश्यक मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी।”

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