सावन का पावन महीना चल रहा है। इस महीने में हर कोई भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहता है। सावन का महीना भगवान शिवशंकर का माना जाता है। इस महीने में शिव की अराधना की जाती है। कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर के लिए मन्नत मांगती हैं, तो शादीशुदा महिलाएं सदा सुहागन रहने का आशीवार्द गौरी मां से मांगती हैं।
इस महीने को लेकर बहुत सारी मान्यताएं है जैसे शादी के बाद पहले सावन में लड़की अपने मायके आ जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि सावन के महीने में कढ़ी और दही नहीं खानी चाहिए। कढ़ी और दही क्यों नहीं खानी चाहिए इसके लेख के माध्यम से जानते हैं।
सावन के महीने में क्यों नहीं खाते कढ़ी और दही
धार्मिक कारण
सावन के महीने में कढ़ी और दही नहीं खानी चाहिए और न ही दही से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव शंकर को इस महीने में कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। इसलिए कच्चे दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कढ़ी में भी दही का इस्तेमाल होता है। इसलिए इसका सेवन वर्जित मान जाता है। इन मान्यताओं के साथ लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। लोगों का मानना है कि भगवान शिव शंकर को दूध अति प्रिय है और ये महीना उनका है। इसलिए इस महीने में कच्चे दूध या इससे बनी चीजों का सेवन करना वो सही नहीं मानते।
वैज्ञानिक कारण
सावन के महीने में कच्चा दूध या दही, कढ़ी आदि का सेवन नहीं करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। माना गया है कि ऐसा करने पर सेहत पर विपरित असर पड़ता है। आपका पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। ये भी माना जाता है कि इस महीने में बारिश ज्यादा होती है और अनचाहा घास उग जाता है।
अनचाही जगहों पर उगे घास में कीट हो जाते हैं। पशु इनका सेवन कर लेते हैं, तो उनके दूध पर इनका प्रभाव पड़ता है। इसलिए कच्चा दूध या इससे बनी चीजों का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। यही कारण है कि इस महीने में दूध, दही, कढ़ी आदि चीजों को खाने पर पांबदी होती है।
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ये लेख सिर्फ सूचनाओं पर आधारित है। द यूनिक भारत का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने विशेषज्ञ से इस बारे में बात कर सकते हैं।
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