रोटी गोल ही बनाई जाती है। बचपन से हम देखते आ रहे हैं कि घर में हमारी मां, दादी गोल रोटियां ही बनाती हैं। दादी, नानी भी बचपन से ये गोल रोटी बनाने की रिवाज ही देखती आ रही हैं ये उनका कहना है। गोल रोटी बनाना हर लड़की का सपना होता है। जब गोल रोटी नहीं बनती है , तो ससुराल में ताने सुनने पड़ते हैं, ऐसा औरतों का मानना है। गोलाकर की जगह किसी अन्य आकार में ये रोटियां क्यों नहीं बनाई जाती, इसके पीछे की वजह के बारे में आज हम इस लेख में बताएगे।
रोटी बनाने की शुरूआत कब हुई
माना जाता है कि जब सैनिक युद्ध में जाते थे, तो उनको कटोरी के आकार की रोटी बनाके दी जाती थी। कटोरी के आकार की रोटी साथ में देने से वो इसके अंदर कुछ भी आसानी से रखकर खा सकते थे। सैनिकों को ये रोटी साथ ले जाने में आसानी भी होती थी।
रोटी गोल ही क्यों बनाई जाती है।
गोल रोटी जल्दी पक जाती है
गोल रोटी बनाने की एक वजह ये है कि गोल रोटी पकने में ज्यादा समय नहीं लेती। आसानी से ये रोटी पक जाती है। इसलिए इसे गोल आकृति दी जाती है। चौकोर या अन्य आकार की रोटियां पकने मे समय लगता है। पुराने समय में चुल्हे पर इन रोटियों को पकने मे आसानी होती थी इसलिए इनकी आकृति गोल ही होती है।
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बेलने में आसानी होती है
गोल रोटी को चकले पर बेलना आसान हो जाता है। चकले पर गोल लोई रखकर जब बेलते हैं, तो बेलन को चारों तरफ घुमाना होता है। ये आसानी से बना ली जाती है।
किनारे मोटे नहीं रहते
किसी और आकार में जब रोटी बनाते हैं, तो किनारे मोटे रह जाते हैं। गोल आकृति में बनाई गई रोटियों के किनारे एक जैसे होते हैं। जिससे ये कच्चे नहीं रहते।
आसानी से फूल जाती है
गोल रोटियां जैसे बेलने और पकने में आसान होती है वैसे ही फूल भी आसानी से जाती हैं। फूली हुई रोटियां देखने में सुंदर लगती हैं। बहुत बार रोटी नहीं फूलने का कारण होता है कि आपने आटा सही से नहीं गुंथा है या फिर आपकी रोटी गोल नहीं बनी है।
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गोल रोटी देखने में सुंदर लगती है
आधी भुख तो खाने को देखकर ही कम या बढ़ जाती है। जब हम देखते हैं कि रोटी गोल-गोल और फूली हुई है तो हमारी भूख बढ़ जाती है और खाने की इच्छा होती है। गोल रोटियां देखने में सुंदर लगती हैं। इसको बनाने के लिए चारों तरफ से बल लगाना पड़ता है और गोल रोटी बनाने में ऊर्जा भी लगती है।