वीरवार को अगर दयावीर कहने लग जाएं तो कैसा रहेगा? वीरवार ही तो है, जिसको महिलाओं पर दया आ गई। जो नहीं चाहता कि इस दिन महिलाएं कपड़े धोएं, पोछा लगाएं, बर्तन साफ करें। वीरवार चाहता ही नहीं था कि इस दिन महिलाओं को कोई दिक्कत हो। वीरवार तो बेचारा महिलाओं को पूरा आराम देना चाहता था, लेकिन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया। लोगों ने कुछ बाते मानी एक साबुन को छुना वर्जित है और दूसरा पोछा लगाना। साबुन को छूने से मनाही हो गई, मतलब सिर भी नहीं धोना, बर्तन भी साबुन से नहीं धोना (मिट्टी से साफ करने पड़ जाते हैं) कपड़े भी नहीं धोने, पोछा भी नहीं लगाना।
हिदूं धर्म में महिलाओं के लिए नियमों की विशेष नियमावली है। इन नियमों की लिस्ट बहुत लंबी है। आज इस आर्टिकल में हम आपको ये बताने वाले हैं। महिलाओं के वीरवार को लेकर पूर्वजों ने क्या नियम बना दिए और क्यों बना दिए।
वीरवार के नियमों की लिस्ट
- बाल नहीं धोने चाहिए।
- साबुन से कपड़े नहीं धोने चाहिए।
- साबुन से नहाना नहीं चाहिए।
- पोछा नहीं लगाना चाहिए।
- साबुन से बर्तन भी साफ नहीं करने चाहिए।
- शेविंग नहीं करनी चाहिए, बाल नहीं काटने चाहिए।
परिवार पर पड़ता है असर

पिलानी मंदिर के पूजारी पंडित अशोक शर्मा का कहना है कि वीरवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देवता को पूजा जाता है। इस वार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन पीला वस्त्र धारण करना चाहिए ताकि भगवान को प्रसन्न किया जा सके। वीरवार के दिन घर की महिलाओं को कई बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है नहीं तो विपदा परिवार पर आती है।
पुराने समय से ही ये चला आ रहा है कि महिलाओं को सिर नहीं धोना चाहिए, बाल नहीं काटने चाहिए, सीलने के लिए नया कपड़ा भी नहीं काटना चाहिए, साबुन का इस्तेमाल इस दिन वर्जित माना जाता है। महिलाएं इन नियमों का पालन नहीं करती तो परिवार के लिए शुभ नहीं माना जाता। बृहस्पति गृह कमजोर हो जाता है।
दूधारू पशुओं पर पड़ता है असर

सिवानी से पिंकी का कहना है ये दिन बहुत शुभ होता है। इस दिन साबुन का प्रयोग नहीं करते। पूराने जमाने से ही लोग इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं और हम भी इसको मानते हैं। जिस घर में पशु रखते हैं उस घर में इन नियमों को पालन जरूर किया जाता है। अगर ऐसा नहीं करते, तो दुधारू पशुओं पर असर पड़ता है।
पति और भाई के लिए नहीं शुभ

हिसार से प्रीति का कहना है कि वीरवार के दिन सिर धोने की मनाही होती है। बाल भी नहीं काटने दिए जाते और नाखून भी नहीं काटते हैं। घर में बड़ों का कहना है कि वीरवार को जब औरत सिर धो लेती है, या नए कपड़े पर कैंची चला देती है, बाल काट लेती है, तो बृहस्पति गृह का प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि पति और भाई के लिए इस वार को साबुन का प्रयोग करना शुभ नहीं माना जाता है।
संतान पर प्रभाव

सीसवाल से कांता देवी का कहना है कि बचपन में ही इस दिन को लेकर डर बना हुआ था कि सिर नहीं धोना, कैंची को हाथ नहीं लगाना, साबुन भी नहीं यूज करनी। अब बड़े हो गए हैं तो हम बच्चों को ये ही बता रहे हैं, जो हमें बताया गया था। वीरवार को साबुन से कपड़े धोना, नहाना, बाल धोना, बर्तन धोना शुभ नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि संतान पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
आर्थिक स्थिति होती है प्रभावित

बैजलपूर से रानी का कहना है कि इस दिन कपड़े नहीं धोने चाहिए। माना जाता है कि जब आप इस दिन मैल के कपड़े धोते हैं,तो बृहस्पति कमजोर हो जाता है। घर में बुजुर्गों का कहना है महिला जिस तरह से साबुन लगाकर कपड़ों का मैल धोती है वैसे ही घर की लक्ष्मी पानी के साथ धुल जाती है। आर्थिक संकट आ जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि महिलाओं के वीरवार के नियमों की पालन नहीं करने पर घर में बरकत नहीं होती।
ये लेख पाठकों के नीजी विचारों पर आधारित है। धार्मिक भावनाओं को आहत करने का हमारा उद्देश्य नहीं है।
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