हरियाणवी में कहा जाता है कि ‘ छिपकली से सुदा कोई जिनावर ना है’ लेकिन फिर भी जाने क्यों लड़कियां इस सबसे शरीफ प्राणी से डरती हैं। छिपकली और लड़कियों के बीच शुरू से ही दुश्मनी का रिश्ता है। छिपकली नाम सुनते ही लड़कियां ऐसे डर जाती है जैसे कोई सुनामी आ गई है और दुनिया तबाह होने वाली है। पूरे घर को सिर पर नचाए रखने वाली लड़की एक छोटी सी छिपकली को देखकर खुद नाचने लगती है। बात कुछ हजम नहीं होती, लेकिन ये सच है। लड़कियां छिपकली और कॉकरोच से सबसे ज्यादा डरती हैं। तो इस आर्टिकल में हम जानेंगे की लड़कियां “आखिर लड़कियां छिपकली से क्यों डरती हैं ?”
लड़कियों के छिपकली से डरने के कारण
लड़कियों के छिपकली से डरने के कई कारण हो सकते हैं। शायद लड़कियां छिपकली को देखकर घिन महसुस करती हो या उनके अंदर ये डर होता होगा कि वो काट लेगी। बचपन में भी डर बैठ जाता है कि ये काट लेगी और फिर हम मर जाएंगें। बचपन का ये डर धीरे-धीरे अंदर घर लेता है और फिर वहीं दिमाग में बैठ जाता है कि छिपकली के काटने से इंसान मर जाता है। हालांकि छिपकली की कई प्रजातियां जहरीली भी होती है। लेकिन हमारे घरों की दीवारों पर रहने वाली छिपकली जहरीली नहीं होती।
हर्पेटोफोबिया की वजह से डरती है लड़कियां
दरअसल ये एक फोबिया होता है जो कई लोगों में पाया जाता है। इसका नाम हर्पेटोफोबिया है। जिन लोगों में ये फोबिया होता है वो छिपकली या सांप जैसे सरीसृपों के साथ-साथ कछुए को देखकर भी डरने लगते हैं। यह एक प्रकार का एंग्जाइटी डिसऑर्डर है।
हर्पेटोफोबिया के लक्षण
- सीने में जकड़न महसूस होना
- पसीना आना
- दिल की धड़कन तेज होना
- चिंता और डर
हर्पेटोफोबिया क्यों हो जाता है
अक्सर जब हम सरीसर्पों के बारे में सोचते रहते हैं तो हमें अपने आप डर लगना शुरू हो जाता है और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। देखा जाता है जिस व्यक्ति को ये फोबिया होता है उसके सामने छिपकली का जिक्र करने से या फिर फोटो देखने मात्र से वो डर जाता है।
हर्पेटोफोबिया का इलाज
हर्पेटोफोबिया को लेकर कोई दवाई नहीं बनी है सिर्फ थैरेपी द्वारा ही इसका इलाज संभव है। थैरेपी में धीरे-धीरे पीड़ित को छिपकली या सरीसर्पों के संपर्क में लाकर उनका डर कम किया जाता है।