किसी भी गार्डनर के लिए सबसे दुख की बात पौधे को अपनी आंखों के आगे सूखते हुए देखना है। सर्दियों के मौसम में अक्सर ऐसा होता है। इसे पौधों की डॉर्मेंसी( dormancy), सुप्तावस्ता या निष्क्रिय अवस्था कहते हैं। ऐसे में उनकी ग्रोथ बिल्कुल रुक जाती है। पत्ते सूखकर झड़ जाते हैं। ऊपर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि पौधा मर गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। प्रतिकूल तापमान यानि अधिक सर्दी के दौरान पौधा अपने विकास को रोककर विराम करते हैं व वृदि्ध की तैयारी करते हें। जैसे ही तापमान अनुकूल होता है यानि गर्माहट आती है वैसे ही पौधे डॉर्मेंसी से बाहर आने लगते हैं। लेकिन जब पौधे डॉर्मेंसी से बाहर आ रहे होते हैं ऐसे में हमें पौधों की मदद करनी चाहिए। पौधे को फिर से हरा भरा बनाने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल बनानी चाहिए। इस लेख में गार्डनिंग एक्सपर्ट कविता तिवारी ने बताया कि फरवरी के महीने में पौधों को डाॅर्मेंसी से बाहर कैसे निकालें। वह कुछ ऐसे टिप्स बताएंगी जिनकी मदद से पौधा फिर से हरा भरा हो जाएगा।
कितने समय की होती है डॉर्मेंसी
डॉर्मेंसी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसकी शुरुआत व अंत होना तापमान पर निर्भर करता है। हालांकि भारत में यह तकरीबन दो माह की रहती है। दिसंबर के महीने के साथ ही डॉर्मेंसी की शुरुआत होती है। वहीं जनवरी में यह पीक पर होती है क्योंकि इस समय तापमान काफी कम होता है। वहीं फरवरी आते ही देश में तापमान वृद्धि शुरु होती है। इसके साथ ही डॉर्मेंसी का समय पूरा होता है।
सुप्तावस्था से बाहर लाने के लिए प्रयास
- पौधों को वसंत ऋतु यानि फरवरी की शुरुआत में सुप्तावस्था से बाहर लाने का प्रयास करना चाहिए।
- वसंत आते ही पौधे को प्रत्यक्ष प्रकाश में लेकर आएं।
- हार्ड प्रूनिंग करें।
- पौधों की गुड़ाई करें।
- पौधों की रिपॉटिंग करें।
- नई वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अच्छी तरह से पानी दें।
- लिक्विड फर्टिलाइजर का प्रयोग करें।
हार्ड प्रूनिंग
कविता का कहना है कि सर्दियों के बाद फरवरी का महीना हार्ड प्रूनिंग का सबसे सही समय होता है। जो भी टहनी सूख चुकी हैं उन्हें हटा दें। सूखे पत्तों को भी पूरी तरह से हटा दें। यानि पौधे की मुख्य टहनी को भी ऊपर से प्रून करना है। इस समय हार्ड प्रूटिंग, ट्रिमिंग या सॉफ्ट प्रूनिंग कर सकते हैं।
गुड़ाई करें
डॉर्मेंसी के दौरान पौधों की गुड़ाई नहीं करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इन दिनों पौधा विश्राम अवस्था में होता है। पौधे की गुड़ाई करने पर पौधे की जड़ें डिस्ट्रब होती है। लेकिन जैसे ही डॉर्मेसी का वक्त चला जाता है तो पौधे की गुड़ाई की जा सकती है।
रीपॉटिंग
गार्डनिंग एक्सपर्ट कविता का कहना है कि डॉर्मेंसी के बाद रीपॉटिंग का सही वक्त आता है। इन दिनों हम जांच करने की जरूरत होती है कि हमारा पौधा रूट बाँड तो नहीं कर रहा है। इसके लिए अपने गमले के ड्रीनेज होल में देखें। अगर वहां जड़ें निकल रही हैं तो समझ जाएं कि आपका पौधा रूट बॉंड कर चुका है। अब सही वक्त है रीपॉटिंग करने का। रीपॉटिंग बेहद ध्यानपूर्वक की जाने वाली प्रक्रिया है। गलत तरीके से किए गये रिपॉटिंग से पौधों को नुकसान हो सकता है। रीपॉटिंग के लिए इन टिप्ट की सहायता लें।
- गमले में रिपॉटिंग से पहले पानी डालें। जिससे कि मिट्टी से पौधे आसानी से निकाले जा सकें।
- दूसरे गमले को चुनें।
- गमले में मिट्टी भरें।
- गमले से पौधे को निकालें।
- हेयररूट्स को कट करके निकाल दें।
- दूसरे गमले में पौधे को लगाएं।
- पौधे को पानी दें।
- रिपॉटिंग प्लांट्स को सीधा धूप में न रखें।
इसे भी पढ़ें- सर्दियों में नहीं सूखेगी तुलसी, करें ये जरूरी काम
पौधे को न्यूट्रीशन दें
इस समय पौधे को न्यूट्रीशन देने की जरूरत होती है। आप पौधे में एनपीके भी डाल सकते हैं। खाद के रूप में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग करें। पौधे को बायोएंजाइम भी दें। ध्यान रखें किसी भी कैमिकल का प्रयोग न करें। मिट्टी में किचिन कम्पोस्ट मिलाएं।
ध्यान रखें
प्रत्येक वर्ष पौधों के पुनः विकसित होने के लिए निष्क्रियता की यह अवधि उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। एक माली के रूप में हमें इस प्रक्रिया को समझना चाहिए। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह स्वत: ही शुरू होती है। हालांकि हम पौधों को इस सुप्तावस्था से उठाने में मदद कर सकते हैं।