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सब्जी-फल विक्रेताओं एवं एबुलेंस को हिसार पहुंचने में मिलेगी मदद

हिसार। जिला प्रशासन एवं प्रदेश सरकार से अस्थाई मार्ग के लिए लंबे समय से प्रयासरत तलवंडी राणा के ग्रामीणों ने बुधवार को स्वयं ही अस्थाई रास्ता तैयार कर लिया है। रास्ता भी कोई छोटा मोटा नहीं, बल्कि इतना चौड़ा एवं बड़ा रास्ता जहां छोटे से लेकर बड़े वाहन बड़ी आसानी से गुजर सकेंगे। हालांकि यह रास्ता दूध, फल एवं सब्जी विक्रेताओं के साथ-साथ एंबुलेंस एवं छोटे वाहनों के लिए बनाया गया है।

केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ की अगुवाई में बुधवार सुबह करीब एक दर्जन टैक्टर, ट्रालियों एवं वाटर टैंकर के साथ 100 से अधिक ग्रामीणों ने एयरपोर्ट की बाहरी दीवार से होते हुए डीसीएम नाले के साथ-साथ बनी पगड्डी को अस्थाई रास्ते में तब्दील कर दिया है। हालांकि ग्रामीण अभी तक एयरपोर्ट की दिवार के साथ-साथ स्थाई रोड बनाने की मांग को लेकर धरनारत हैं।

ध्यान हो कि इससे पहले ग्रामीण अस्थाई रास्ते की मांग को लेकर जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार के सामने गुहार लगा चुके थे। इस अस्थाई रास्ते के बनने के बाद तलवंडी राणा गांव की दूरी 22 किलोमीटर से घट कर महज नौ किलोमीटर ही रह गई है। इसी प्रकार इस मार्ग से क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक से अधिक गांवों के लोगों को भी आवाजाही में काफी राहत मिलेगी।

रास्ता नहीं मिलने पर बढ़ गई थी शहर से दूरी

इससे पहले अस्थाई या स्थाई रास्ता न मिलने से उनकी तलवंडी राणा एवं साथ लगते गांवों की शहर से दूरी बहुत अधिक बढ़ गई थी, वहीं उन्हें बाया धान्सू-मिर्जापुर होते हुए हिसार आने से दो रेलवे फाटकों की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा था। ध्यान हो कि हिसार एयरपोर्ट के विस्तार के कारण तलवंडी राणा सहित क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों का सीधा संपर्क जिला मुख्यालय से लंबे समय से टूटा हुआ था। लोगों का हिसार शहर आना-जाना दूभर हो गया है। लोगों के रोजगार छिनने लगे हैं, दर्जनों दूधियोंं ने लागत बढऩे से कार्य छोड़ दिया है। छोटे-मोटे परचून या दूसरे दुकानदारों का कारोबार भी ठप हो गया था।

महज आठ घंटे में बना दिया चार किलोमीटर रास्ता

सरकार एवं प्रशासन की उपेक्षा के बाद के बाद तलवंडी राणा के ग्रामीणों ने महज आठ घंटे में ही चार किलोमीटर का अस्थाई रास्ता बना डाला। सिस्टम की बेरुखी से गांव में एक बुजुर्ग रामस्वरुप की अस्पताल ले जाते समय मौत, और अलग-अलग हादसों में तीन युवकों के चोटिल होने के बाद ग्रामीणों ने स्वयं ही अपना रोड बनाने की ठानी। केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ की अगुवाई में 117 ग्रामीणों ने 12 टैक्ट्ररों एवं दूसरे संसाधनों की मदद से यह अस्थाई रास्ता बना डाला। सबसे बड़ी बात यह है कि इस रास्ते को बनाने में किसी भी ग्रामीण ने कोई पैसा नहीं लिया। यह पूरा रास्ता बिना किसी एक पैसे की लागत से ही बन गया।

ऑक्सीजन की जरुरत आज तो कल किसने देखा

स्वयं ग्रामीणों द्वारा रास्ता बनाने की जरूरत क्यों पड़ी के सवाल का जवाब देते हुए केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ ने कहा कि विगत दो-तीन दिनों से एयरपोर्ट के चारों तरफ रास्ता बंद होने के कारण गांव का शहर से सीधा संपंर्क पूर्ण रुप से टूट गया था। इसलिए दूध, सब्जी एवं दूसरे प्रकार के आवश्यक सामान की आपूर्ति करने के लिए अस्थाई रास्ता बनाना बहुत ही जरुरी हो गया था।

दूरी घटी, अब घटेगा किराया:-

अस्थाई रास्ता बनने के बाद तलवंडी राणा एवं आस-पास के गांवों की दूरी कम से कम दस किलोमीटर घट गई है। पहले जहां तलवंडी राणा के ग्रामीणों को हिसार आने के लिए 20 से 22 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, वहीं इस अस्थाई मार्ग से यह दूरी महज ही नौ किलोमीटर रह गई है। इसके साथ ही तलवंडी राणा से हिसार जाने वाले वाहनों का किराया दो से तीन दिन में कम हो जाएगा। हिसार एयरपोर्ट के विस्तार से पहले तलवंडी राणा का बस किराया सात से दस रुपये था, वहीं अब यह बीस रुपये हो गया है। मगर नए मार्ग से यह किराया पहले जितना ही हो जाएगा।

कहां से गुजरेगा अस्थाई मार्ग:-

यह रास्ता एयरपोर्ट के पास कुरुक्षेत्र गौशाला के साथ लगते डीसीएम नाले से होकर डीयर पार्क के पास से होते हुए जहां पुराने धांसू रोड से गैस प्लांट के पास से होते हुए पुराने नेशनल हाईवे में मिल जाएगा। वहीं इस रास्ते से डीसीएम नाले के साथ-साथ तलवंडी राणा गांव तक सीधे भी गांव तवलंडी राणा एवं धान्सू एवं बरवाला के तरफ जाने वाले सभी गांव जुड़ जाएंगे। यह रास्ता जहां सीधा तलवंडी राणा गांव में प्रवेश करेगा, वहीं राणा नहर के साथ-साथ सेक्टर तीन और बाया बरवाला की तरफ से आवाजाही हो सकेगी।

कौन-कौन से वाहन यहां से गुजर सकेंगे

केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ की अगुवाई में तैयार हुए इस अस्थाई रास्ते से स्कूटर, मोटरसाइकिल, छोटे वाहन, एंबुलेंस एवं दूसरे इमरजेंसी वाहन गुजर सकेंगे। हालांकि इस मार्ग से बड़े ट्रकों एवं एयरपोर्ट पर कार्य करने वाले बड़े हाईवा को यहां से गुजरने की अनुमति नहीं होगी।

कौन-कौन से वाहन यहां से गुजर सकेंगे

केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ की अगुवाई में तैयार हुए इस अस्थाई रास्ते से स्कूटर, मोटरसाइकिल, छोटे वाहन, एंबुलेंस एवं दूसरे इमरजेंसी वाहन गुजर सकेंगे। हालांकि इस मार्ग से बड़े ट्रकों एवं एयरपोर्ट पर कार्य करने वाले बड़े हाईवा को यहां से गुजरने की अनुमति नहीं होगी।

इन गांवों को होगा फायदा

अस्थाई रास्ता बनने के बाद तलवंडी राणा, जुगलान, बीड़-बबरान, धिकताना, धान्सू, बहबलपुर, बाड्डो पट्टी, खेड़ी बर्की, सुलखनी, राजली सहित बरवाला की तरफ आने वाले वाले छोटे वाहन चालकों के लिए यह रास्ता बेहद किफायती रहेगा।

निदेशक ने तैयार किया था ब्लू प्रिंट

ब्लू प्रिंट केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़

बुधवार को जो रास्ता ग्रामीणों ने तैयार किया है, यह वहीं रास्ता है, जिसका ब्लू प्रिंट केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ ने पहले तैयार किया था। इस पर सरकार ने ग्राम पंचायत की प्रतिक्रिया लेनी चाही थी, मगर पंचायत या जनप्रनिधियों की तरफ से कोई जवाब न मिलने से इस रास्ते का मामला अधर में लटक गया था।

इनका रहा विशेष सहयोग

केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ की अगुवाई में यह अस्थाई रास्ता तैयार करने में
पंच बलवंत खटाना, समाजसेवी सारदूल वर्मा, पूर्व पंच जगदीश रावत, अखेराम हाकला, डा. मदन खटाना, चिमन खटाणा, डा. ईश्वर सेन, डा. राजकुमार बावता, राजेन्द्र हाकला, चिन्की खटाणा, सुनील डोई, राधेश्याम पखाला, रिंकू पंखाला, सचिन खटाला, सुशील सिराधना, सरजीत रावत, रांझा चेची, रुघबीर सोरठ, नरेश कोहली, रामदास खटाणा, भीमा पखाला, बिन्द्र सेन, संदीप सेन, कौर सिंह खटाणा, संदीप खटाना सहित तलवंडी राणा के 50 से अधिक दूधियों, किसानों, ग्रामीणों एवं महिलाओं ने भरपूर सहयोग दिया।

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तलवंडी करता है सर्वाधिक दूध की आपूर्ति

यहां बड़ी बात यह है कि हिसार शहर में बिकने वाले दूध की दस फीसदी आपूर्ति अकेले तलवंडी राणा गांव से ही होती है। यहां सर्वाधिक 117 दूधियें एवं पांच दूध की डेरियां है। तलवंडी राणा से औसत 40 से 44 हजार लीटर दूध की सप्लाई होती है।

एक की गई जान तो तीन युवकों के हाथ-पांव टूटे

तलवंडी राणा गांव का स्थाई या अस्थाई रास्ता न होने के कारण जहां अब तक एक बुजुर्ग रामस्वरुप की अस्पताल ले जाते समय मौत हो चुकी है, वहीं तीन युवक अलग-अलग हादसों में अपने हाथ-पांव तुड़वा चुके हैं।

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