सर्दियों के दिनों में हर दिन नहाना एक गंभीर समस्या की तरह है। आप अपने बुजुर्गों के पास बैंठें या दोस्तों की महफिल जमी हो, लेकिन पहला सवाल यही होता है कि नहाकर आया है न। हालांकि देश में अधिकतर लोग ऐसे हैं जो हर दिन नहाते हैं। इसके साथ ही देश में अधिकतर बच्चों को हर दिन नहलाने के बाद ही स्कूल भेजा जाता है। जिसकी वजह से रिपोर्टस कहती हैं कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोग भारत में नहाते हैं। देश के अलावा जापान और इंडोनेशिया के लोग सबसे आगे हैं। वहीं कई शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि रोज नहाना सेहत के लिए खतरनाक है। इससे महज पानी की बर्बादी ही नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक तौर पर कष्ट पहुंचता है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर हर दिन नहाने के क्या नुकसान है, हफ्ते में कितने दिन नहाना चाहिए।
देश में किन वजहों से नहाते हैं लोग
- कुछ लोग सामाजिक दबाव की वजह से रोज नहाते हैं।
- कुछ लोग धार्मिक मान्यताओं के चलते रोज नहाते हैं।
- कुछ लोगों को लगता है कि बिना नहाए वे फ्रेश फील नहीं करते हैं।
- कुछ लोग एनर्जेटिक फील करने की वजह से नहाते हैं।
- कुछ लोग अधिक पसीना आने की वजह से नहाते हैं।
- कुछ लोगों के पास कोई वजह नहीं है लेकिन घर में सब नहाते हैं इसलिए वे नहाते आ रहे हैं।
विज्ञान व विशेषज्ञ मानते हैं “नहीं नहाना है बेस्ट”
विशेषज्ञों के अनुसार हर दिन नहीं नहाने की आदत बेस्ट है। यह बीमारियों से बचाने का काम करती है। दरअसल रोज नहाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जॉर्ज वॉशिंग्टन यूनिवर्सिटी (वॉशिंगटन डीसी, यूएस) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सी ब्रैंडन मिशेल बताते हैं कि रोज नहाने से स्किन का नेचुरल ऑयल खत्म होता है। इसके साथ ही गुड बैक्टीरिया निकल जाते हैं। ये सभी अच्छे बैक्टीरिया रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। लेकिन रोज नहाने से ये बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि हर दिन नहाने की आदत गलत है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय द यूनिवर्सिटी ऑफ डीसी के जेनेटिक्स साइंस सेंटर के एक शोध के मुताबिक भी हर दिन नहाना गलत है। शोध के अनुसार ज्यादा नहाने से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमताएं कमजोर पड़ जाती हैं। इससे शरीर जल्दी बीमारियों से ग्रसित हाेता है। रोज नहाने की आदत से पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है।
प्वाइंट्स में समझिए नहाने से सेहत को नुकसान
- रोजाना नहाने से त्वचा से नेचुरल ऑइल खत्म होते हैं। इससे स्किन रूखी-सूखी (Dry Skin) हो सकती है।
- खुजली की दिक्कत होने लगती है.
- स्किन के बेरियर डैमेज हो जाते हैं। इससे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
- स्किन इंफेक्शंस की चपेट में आ सकती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है।
- साबुन अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।
- पानी, साबुन, शैंपू और अन्य चीजों का नुकसान।
कितनी बार नहाना सही
विशेषज्ञों के अनुसार सप्ताह में दाे से तीन बार नहाना उचित है। इससे अधिक नहाने या ज्यादा साबुन का इस्तेमाल करने पर सेहत को नुकसान पहुंचता है। इसके साथ ही 3 से 5 मिनट के लिए ही शॉवर लें। इस दौरान चेहरा, आर्मपिट और कमर को क्लीन जरूर करें। हर बार स्किन को स्क्रब करना जरूरी नहीं है।
नहाने का सही तरीका क्या है
नहाते समय सबसे ध्यान रखने योग्य बात ये है कि सबसे पहले सिर पर पानी नहीं डालना है। बता दें कि सिर में मौजूद रक्त नलिकांए दिमाग को रक्त पहुंचाती है। ऐसे में अगर कोई अचानक से ही सीधा सिर पर पानी डाल देता है तोये नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। इससे सिर में रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं। कई बार तो हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी आ सकता है।
- सबसे पहले पैर के पंजों पर पानी डालिए।
- इसके बाद पिंडलियों पर, घुटनों पर और फिर जांघों पर पानी डालिए।
- हाथों से पानी लेकर पेट को रगड़िए और कंधे पर पानी डालिए।
- धीरे-धीरे मुंह पर डालिए
- सबसे अंत में सिर पर पानी डालिए।
- इसके बाद आप चाहें तो शावर के नीचे खड़े होकर भी नहा सकते हैं या टब में बैठकर नहा सकते हैं।
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भोजन के बाद नहीं नहाना चाहिए
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि खाना खाने के बाद तुरंत बाद नहाना आपका सेहत के लिए लाभदायक नहीं है। बहुत से व्यक्ति होते हैं, जो खाना खाने के तुरंत बाद नहाने चले जाते हैं। डॉक्टर के अनुसार खाने खाने के बाद नहाने से हमारे शरीर में ब्लड फ्लो में बदलाव आ जाता है। खाने के बाद उसको पचाने के लिए शरीर में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसके लिए शरीर में तेज ब्लड फ्लो होना चाहिए। शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है, क्योंकि खून पाचन अंगों की तरफ निर्देशित होने लगता है।(10 मिनट में बन कर तैयार हो जाता है नेचुरल साबुन, जानें विधि)
खाना खाने के तुरंत बाद नहा लेते हैं, तो खून का प्रवाह कम हो जाता है। पाचन प्रक्रिया की तरफ निर्देशित रक्त दूसरों अंगों की तरफ प्रवाहित होने लगता है। इसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है और भोजन भी सही तरह से नहीं पचता है।
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