Gardening tips: गार्डनिंग को सफल बनाना है तो मिट्टी और खाद से भी ऊपर कुछ सोचने की जरूरत है। इसके बाद ही आपकी बगिया फूलों और फलों से भरी रहेगी। दरअसल शहरों में बागवानी छोटे गमलों में की जा रही है। पौधों को पर्याप्त पोष्टिकता नहीं मिलने पर पौधे अच्छी तरह ग्रोथ नहीं करते हैं।
आज के इस लेख में हम आपको पौधों में नई जान फूंग देने वाला जीवामृत के बारे में बताने जा रहे हैं। जीवामृत पौधों में नई जान फूंक देता है। इस लेख में हम आपको बागवानी के लिए जीवामृत बनाने का तरीका बताएंगे। इसमें हमारी मदद करेंगी बागवानी विशेषज्ञ सुरभि यादव। जो पिछले 5 सालों से अपने बगीचे में जीवामृत बनाती हैं।
क्या है जीवामृत(what is jeevamrit)
बता दें, जीवामृत कोई खाद नहीं है। बल्कि आवश्यक सुक्ष्म जीवाणुओं का समूह है जो पौधों की ग्रोथ को बूस्ट करेगा। दरअसल ये सूक्ष्म जीवाणु मिट्टी के भीतर क्रियाओं को तेज कर देते हैं। पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं। यह बेसन, गुड़, गोबर और पानी से तैयार किया जाता है। इसे तैयार करना आसान है। इसमें बेसन और गुड़ की मदद से सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाई जाती है। जीवामृत पौधों में उत्प्रेरक एजेंट के रूप में कार्य करता है।
जीवामृत के फायदे
- मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है।
- मिट्टी में जरूरी पोषक तत्वों की संख्या बढ़ती है।
- मिट्टी में मित्रकीटों की संख्या में वृद्धि करना।
- मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार।
- पौधों की वृद्धि में तेजी।
- फल और फूलों में बढ़वार।
- पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करे।
कैसे बनाएं जीवामृत
सुरभि यादव ने बताया कि जीवामृत बनाना आसान है। इसके लिए आपको दस लीटर पानी लेना है। इसके अंदर गोबर की खाद या फिर चार से पांच उपले के टुकड़े डालें। इसमें 10 ग्राम बेसन और 10 ग्राम गुड़ डालें। इसके साथ ही एक गिलास खट्टी लस्सी डालें। अगर गौमूत्र उपलब्ध है तो आधा लीटर गोमूत्र डालें। पूरे मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं। दो से तीन दिनों के लिए रखें।
पौधों में किस तरह करें प्रयोग
इसे पौधों में प्रयोग करना आसान है। जब भी पौधों में पानी डालें तो बकेट में दो से तीन लीटर जीवामृत को डाल लें। इस पानी को पौधों में डालें। तकरीबन दस दिन के भीतर इस पानी को पौधों में डालते रहें।
ध्यान रखने योग्य बातें
- जीवामृत को हमेशा छाया रखें
- अगर उपलब्ध हो सके तो ताज गोबर का प्रयोग करें।
- गौमूत्र जितना पुराना हो उतना बेहतर है।
- गोबर या गौमूत्र देसी गाय का ही लें।
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