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हर इंसान की ज़िन्दगी में एक महिला का बहुत महत्वपूर्ण भाग होता है लेकिन इस बात से वाकिफ़ लोग भी महिला की बीमारियों को अनदेखा कर देते हैं, जिसका परिणाम आने वाले भविष्य में नज़र आता है। महिला आज के समय में अपना ध्यान नहीं रखती जिसके कारण उनको काफ़ी तरह की गभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) अधिक नज़र आने लगा है। पीसीओएस की समस्या पहले के समय में 30 से 35 वर्ष की आयु की महिला को होती थी लेकिन बदलते लाइफस्टाइल और डाइट के कारण यह स्कूल जाने वाली बच्चियों में अब नज़र आने लगी है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है और इस समय पूरी दुनिया में इससे पीड़ित महिलाओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। पीसीओएस की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।

PCOS क्या है 

यह ओवरी से संबंधित एक समस्या है जिसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। ऐसे में महिलाओं के शरीर में फीमेल हार्मोन की बजाय मेल हार्मोन (एण्ड्रोजन) का स्तर ज्यादा बढ़ने लगता है। पीसीओएस होने पर अंडाशय में कई गांठे (सिस्ट) बनने लगती हैं। ये गांठे छोटी छोटी थैली के आकार की होती हैं और इनमें तरल पदार्थ भरा होता है। धीरे धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और फिर ये ओव्यूलेशन की प्रक्रिया में रुकावट डालती हैं। ओव्यूलेशन की प्रक्रिया ना होने की वजह से ही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में गर्भधारण की संभावना कम रहती है। पीसीओएस होने पर महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

जीवनशैली में परिवर्तन जरूरी

जीवनशैली और खानपान में प्रभावी बदलाव लाकर और सही इलाज की मदद से पीसीओएस के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ऐसा जरुरी नहीं है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं कभी मां नहीं बन सकती हैं। बल्कि यह रोग की गंभीरता और इलाज पर निर्भर करता है। सही इलाज और जीवनशैली में जरुरी परिवर्तन करने से इससे पीड़ित महिलायें भी गर्भवती हो सकती हैं।

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पीसीओएस के लक्षण 

  • सबसे पहला लक्षण है अनियमित मासिक धर्म बढ़ता वजन इस बीमारी की वजह बन रहा है।
  • अनियमित पीरियड्स – ओवुलेशन नहीं होने का मतलब है कि गर्भाशय की परत नियमित रूप से शेड नहीं करती है।
  • मुंहासे – शरीर में अत्यधिक मेल हार्मोन त्वचा को सामान्य से अधिक ऑयली बनाते हैं। यह पीठ, चेहरे और चेस्‍ट पर ब्रेकआउट का कारण होता है।
  • गंजापन – स्‍कैल्‍प से बाल गिरने से पहले पतले होने लगते हैं।
  • बालों का विकास – चेहरे, पीठ और पेट के आस-पास असामान्य रूप से बालों का विकास होता है।
  • हैवी ब्‍लीडिंग -क्‍योंकि गर्भाशय अस्तर का निर्माण अनियमित पीरियड्स के कारण होता है, इसलिए जब आपके पीरियड्स होते हैं, तो फ्लो नॉर्मल से अधिक हैवी होता है।
  • वजन बढ़ना – PCOS वाली महिलाएं मोटी या अधिक वजन की होती हैं।
  • सिरदर्द – असामान्य हार्मोन के लेवल के कारण सिरदर्द होता है।
  • त्वचा का काला पड़ना – डार्क स्किन के पैचेज शरीर के कई हिस्‍सों जैसे गर्दन और ब्रेस्‍ट के नीचे और पेट और थाइज के निचले हिस्से में दिखाई दे सकते हैं।

घर पर ऐसे करें इलाज

लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर इसे घर पर ही ठीक किया जा सकता है। PCOS पर नियंत्रण पाने के लिए लो कार्बोहाइड्रेट डाइट अपनाएं, वजन कम करें और रोज कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें। वजन कम करने से डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा भी कम होता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी सही होता है।

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