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मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों को अफीम की फसल बचाने के लिए चोरों और नशेड़ियों से ज्यादा तोतों से सतर्क रहना पड़ रहा है। जी हां आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन मंदसौर में तोते अफीम के इतने आदी हो चुके है खेतों से अफीम लेकर उड़ जाते हैं। जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कभी लुटेरों और नशेबाजों से अफीम की फसल को खतरा रहता था, लेकिन अब यहां के तोते अफीम खाकर नशेड़ी होते जा रहे हैं। तोते अफीम खा रहे हैं जिससे फसल में नुकसानों में हो रहा है और खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। खेतों से अफीम चुराकर खाने वाले तोतों को नशे की लत लग गई है।

तोतों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर रहा है

मंदसौर में इन दिनों अफीम की फसल शबाब पर है। अफीम के डोडा पर चिराई किया जा रहा था। किसान खेतों में काम कर के अफीम की औसत देने में जुटे हैं, लेकिन तोतों ने खलल डालना शुरू कर दिया है । खेत के आसपास किसानों ने तार और जालियां बांध रहे लेकिन नशे के आदी हो चुके तोते जाली भी तोड़ देते हैं। वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिसर्च में पाया कि अफीम से तोतों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर रहा है। यही वजह है कि तोतों को नशे की लत लग चुकी है।

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रोजीरोटी के लिए पूरा दिन खेतों में बैठते हैं किसान

किसानों को कहना है कि तोतों की वजह से पूरा दिन खेत में बिताना पड़ रहा है। खेतों के आस पास तोतों की संख्या ज्यादा है। तोतों को अफीम की लत इतनी ज्यादा लगी है कि कुछ सेकंडों में ही अफीम का डोडा काट कर उड़ जाते हैं। हमने उनसे बचने के लिए फसल के ऊपर जालियां लगाई हैं। नीलगाय से बचने के लिए खेत के आसपास लोहे की जलियां और पुराने कपड़े बांधे हैं। परिवार भी खेतों की निगरानी करता रहता है। जिस किसान ने खेत के ऊपर जाल नहीं लगाया है, वे किसान ज्यादा परेशान हैं।

अफीम की खेती करने के लिए सरकार से परमिशन लेनी होती है

वन विभाग से लेकर कृषि विभाग तक के अधिकारी तोतों की चालबाजी को देखकर हैरान है। किसानों को सरकार को अफीम की फसल से औसत उपज देनी होती है। यदि किसान ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं तो सरकार अफीम की खेती का कांट्रेक्ट कैंसिल कर देती हैं। सख्त निगरानी के बावजूद ये तोते जाली तोड़कर सुबह-शाम अफीम की दावत करने खेत में पहुंच जाते हैं। मंदसौर अफीम की खेती का बह है. यहां के 19,000 किसान केंद्रीय वित्त मंत्रालय की लांसिंग और सीपीएस पद्धति के तहत अफीम उगाते हैं।

औसत कम हुई तो 19 हजार किसानों का लाइसेंस रद्द होना तय

जिले में 19 हजार से अधिक किसान हैं, जो अफीम की खेती कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने लांसिंग और सीपीएस पद्धति से अफीम उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी किए हैं। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को अफीम उत्पादन के लिए 10 से 20 आरी तक के ही पट्टे दिए जाते हैं। कई बार तो किसानों को कम औसत के चलते कार्रवाई भी झेलनी पड़ती है। जिसका एक निश्चित औसत किसानों को देना पड़ता है। अगर औसत कम हो जाए तो अगली बार के लिए पट्टे निरस्त कर दिए जाते हैं।

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