2023 में टमाटर के तेवर काफी बढ़े। भाव 200 रुपये तक पहुंचे। ऐसे में अपने भाव के कारण चर्चाओं में रहने वाला टमाटर किसानों के लिए अब फायदेमंद साबित हो सकता है। ज्यादा से ज्यादा किसान इस फसल को बोने में रुचि दिखा रहे हैं। वहीं इस जरूरत को देखेते हुए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा टमाटर की दो किस्में विकसित की गई हैं। ये दाेनों किस्में किसानों के लिए जून महीने में भी भरपूर उपज देंगी।
ये हैं टमाटर की नई किस्में
काशी तपस और काशी अद्भुत टमाटर की दो ऐसी किस्में हैं। इन किस्माें का सबसे अच्छा फायदा यह है कि इन किस्मों के माध्यम से गर्मी में भी किसानों को भरपूर उपज मिल सकेगी। ये किस्में देश भर के लिए खास हैं। टमाटर की इन दोनों किस्मों को विकसित करने में 12 साल लगे हैं। बता दें कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नागेंद्र राय टमाटर की नई किस्म को विकसित करने के लिए 2011 से काम कर रहे थे। आपको जानकारी दें कि किसानों के पास कई शंकर किस्में मौजूद हैं लेकिन कोई भी किस्म में जून महीने तक नहीं चलती है। लेकिन इस कमी को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित काशी तपस और काशी अद्भुत किस्म पूरा करेंगी। इन किस्म के माध्यम से किसान गर्मी के तापमान में भी टमाटर उगा सकेंगे।
अब जून महीने में भी मिलेगी टमाटर की बंपर पैदावार
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नागेंद्र राय ने बताया कि काशी तपस और काशी अद्भुत किस्म से 40- 45 डिग्री के तापमान में भी उत्पादन भरपूर मिलता है। इसके साथ ही टमाटर की ये दोनों किस्में 40 से 45 टन पैदावार प्रति हेक्टेयर देती हैं सामान्यत किसान को टमाटर की खेती करने के लिए जनवरी माह में नर्सरी तैयार करनी होती है और फरवरी के प्रथम सप्ताह तक टमाटर की रोपाई करनी होती है। फिर मार्च महीने से किसान को उत्पादन मिलना शुरू होता है। इन नई प्रजाति के टमाटरों से किसानों की आय बढ़ेगी। हालांकि किसानों को फिलहाल इन दोनों किस्मों के बीज के लिए दो साल तक इंतजार करना होगा।
टमाटर की कीमतें रहेंगी नियंत्रित
गर्मी में टमाटर के उत्पादन में काफी गिरावट हो जाती है। ऐसे में दूसरे राज्यों से आने वाले टमाटर पर निर्भर होना पड़ता है।ऐसे में इनकी कीमतें भी ज्यादा होती हैं। काशी तपस और काफी अद्भुत प्रजाति की टमाटर के बाजार में आने के बाद कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। इन दोनों किस्मों के माध्यम से तीन महीने तक उत्पादन मिलता है। लोगों की किचन का जायका भी बना रहेगा।