अनार (Pomegranate) एक पौष्टिक और लाभकारी फल है, जिसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं। यह फल सेहत के लिए कई तरह के फायदे प्रदान करता है। इसे छत पर आसानी से उगाया जा सकता है। आजकल लोग फ्रूट गार्डनिंग में रूचि दिखा रहे हैं। अनार उनके पसंदीदा पौधों में से एक है।
लेकिन अधिकतर लोगों की समस्या होती है कि उनके अनार के फूल फल बनने से पहले ही झड़ जाते हैं। अनार का फूल झड़ने की समस्या कई कारणों से हो सकती है। इस लेख में हम गार्डनिंग एक्सपर्ट पेमिला जी से जानेंगे कि कैसे अनार के फूल झड़ने की समस्या को दूर किया जा सकता है। साथ ही पेमिला जी ने हमें बताया कि अनार के दानों को बड़ा व लाल कैसे किया जा सकता है। पेमिला जी ने यूनीक भारत की टीम को बिल्कुल ऑर्गेनिक तरीके बताएं हैं, जिन्हें फॉलो करना काफी आसान है।
तीन कारणों से झड़ते हैं अनार के फूल
- पोषण की कमी: अनार के पौधे को पूर्ण और संतुलित पोषण की आवश्यकता होती है। अगर पौधे को पोषण की कमी है, तो फूलों का झड़ना शुरू हो सकता है।
- पानी की कमी: पानी की कमी भी फूलों के झड़ने का कारण बन सकती है। पौधे को नियमित रूप से पानी दें, खासकर गर्मियों में इस बात का ध्यान रखें।
- रोग और कीट: कई रोग और कीट अनार के पौधों को हमला कर सकते हैं, जिससे फूलों का झड़ना शुरू हो सकता है। इसके लिए, नियमित रूप से पौधे की स्वास्थ्य की जांच करें और आवश्यकतानुसार उपचार करें।
अनार के पौधे की उम्र के अनुसार डालें खाद
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गार्डनिंग एक्सपर्ट पेमिला ने बताया कि अनार के पौधे पर फल बनने से पहले ही फूलों के झड़ने का मुख्य कारण पोषण की कमी है। इसे दूर करने के लिए उचित मात्रा में पौधे को खाद की जरूरत होती है। इसके लिए आप पौधे की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है।
- अगर पौधा दो साल का है तो साल में दो बार दो-दो किलो खाद इस पौधे में डालें।
- अगर पौधा तीन साल का है तो तीन किलो खाद डालें।
- यानि पौधे की उम्र जितनी है उतनी खाद पौधे में डालने है। ध्यान रखें कि यह जैविक खाद होनी चाहिए।
- इसके लिए आप किचिन वेस्ट कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- गोबर खाद या वेस्ट कम्पोस्ट को मिलाकर भी पौधे में डाल सकते हैं।
- पौधे को पानी की कमी न होने दें।
साथ ही रोग व कीट अटैक से बचने के लिए नीम ऑइल व बायो एंजाइम का प्रयोग करें। इसके बाद अनार के पौधे से फूल झड़ने की समस्या खत्म हो जाएगी। इन समस्याओं के समाधान के साथ-साथ, स्थानीय उचित देखभाल के नियमों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। अगर समस्या गंभीर है और सामाधान नहीं हो पा रहा है, तो स्थानीय किसानों या बागवानी विशेषज्ञों से सलाह लेना उपयुक्त रहेगा।