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शराब के नशे की तरह ही लोगों को मोबाइल की लत लग गई है। खास बात है कि इसके आदी सिर्फ बड़े लोग या युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी हैं। बच्चों में यह लत गंभीर रूप ले रही है। मोबाइल नहीं मिलने पर खाना और पढ़ाई छोड़ देना आम हैं। इसके लिए बच्चे आत्महत्या तक कर रहे हैं। ऐसे में आगामी वर्षों के लिए यह समस्या गंभीर होती जा रही है। 

जिस तरह शराब को छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र खोले गए थे। वहीं अब मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र खोले जा रहे हैं। जहां मोबाइल के अत्यधिक उपयोग की लत को छुड़वाया जाएगा। इससे पैदा होने वाली समस्याओं से बचाव के लिए काम किया जाएगा। यह प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया है।

यहां पर शुरू की गई पहल

इस योजना के तहत झांसी के जिला अस्पताल में मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत होने जा रही है।  इस मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र में एक काउंसलर की तैनाती रहेगी। यह काउंसलर लोगों को मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को बताएगा। इसके साथ ही उपचारित करेगा। अधिकारियों के अनुसार इसी महीने काउंसलिंग केंद्र की शुरुआत होगी। 

हर दिन किया जाएगा उपचार

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मंडलीय परियोजना प्रबंधक आनंद चौबे ने बताया कि मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की गई है।  इसी महीने में झांसी जिला अस्पताल में मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र शुरू होगा। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। समस्या से ग्रसित होने पर काउंसलर द्वारा उचित परामर्श दिया जाएगा। लोगों को मोबाइल की लत से अवेयर होना चाहिए। यह मानसिक स्तर के साथ शारीरिक स्तर को भी प्रभावित कर रहा है। इसके दुष्प्रभाव दूरगामी और गंभीर रहें। 

लोग कर रहे इस पहल की सराहना

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की गई इस पहल की सराहना पूरे देश में हो रही है। लोग बेसब्री से इस मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र का इंतजार कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि यह पहल काफी उपयोगी रहेगी। खास तौर पर बच्चों के मोबाइल छुटाने में कारगर साबित होगी। 

ये हैं गंभीर लक्षण

  • सुबह उठते ही मोबाइल देखना
  • मोबाइल देखने के बाद ही नींद का आना
  • हर समय हाथ में मोबाइल रखना
  • 8 से 11 घंटे तक मोबाइल का इस्तेमाल
  • कुछ मिनटों बाद ही ऑनलाइन हो जाना
  • हर समय सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना
  • गेम्स खेलना
  • अपनी ही पोस्ट को रिफ्रेश करते रहना

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नोमोफाेबिया का हो रहे शिकार

मोबाइल की लत इतनी ज्यादा हो गई है कि लोग नोमोफोबिया का शिकार हो रहे हैं। यानि नोमोफोबिया (Nomophobia) शब्द नो-मोबाइल फोन (No-Mobile Phone) और फोबिया (Phobia) शब्दों से मिलकर बना है। यह एक मानसिक रोग है जो मोबाइल फोन या स्मार्टफोन से अलग होने की भावना से होता है। इसमें व्यक्ति के मन में मोबाइल फोन के दूर होने का डर लगा रहता है। उसके अंदर मोबाइल के बिना कुछ नहीं होने की भावना उत्पन्न होती है जिससे वह असंतुलित और उत्तेजित हो जाता है।

नोमोफोबिया के लक्षणों में शामिल हैं:

  1. मोबाइल फोन से अलग होने की भावना या उसे खोने की चिंता बार-बार आती है।
  2. मोबाइल फोन के बिना व्यक्ति को एक अजीब सा लगता है जैसे उसकी दुनिया का हिस्सा अब उसके साथ नहीं है।
  3. असंतुलितता, चिंता और उत्तेजना होने की भावना।
  4. मोबाइल फोन का उपयोग दिनभर के कामों को प्रभावित करता है।
  5. अधिक मोबाइल फोन उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याएं जैसे कि नींद की कमी, तनाव, उदासी आदि।

इस रोग से निपटने के लिए, व्यक्ति को अपने मोबाइल फोन के साथ संतुलित और सीमित समय तक ही प्रयोग करना चाहिए। 

मोबाइल के अधिक प्रयोग से हो रहीं ये परेशानी

मोबाइल की लत या एडिक्शन एक नई बीमारी है जो मोबाइल फोन या स्मार्टफोन के उपयोग के लिए अधिक आकर्षित होने को कहते हैं। यह अत्यधिक मोबाइल फोन उपयोग के कारण होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक और नैतिक जीवन से दूर हो जाता है।

इस लत के कुछ दुष्परिणाम

  1. मोबाइल फोन का उपयोग लगातार और अनियमित ढंग से होने लगता है।
  2. स्क्रीन के सामने लंबी घंटों बिताने से आँखों में समस्याएं हो सकती हैं।
  3. इस लत के लोगों का सोने का और उठने का समय भी बिगड़ जाता है।
  4. इस लत के लोग सामाजिक जीवन से दूर हो जाते हैं और दूसरों के साथ अनुभवों को साझा नहीं कर पाते हैं।
  5. यह लत संबंधित समस्याओं जैसे कि उदासी, तनाव, चिंता, नींद की कमी, शारीरिक निरोगी आदि से जुड़ी हो सकती है।
  6. सामाजिक और नैतिक जीवन से दूर हो जाता है।
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