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कुछ करने का जज्बा और हुनर हो तो दुनिया की कोई ताकत आपको कामयाबी पाने से नहीं रोक सकती। इन दिनों प्राकृतिक खेती की तरफ लोग ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। हर कोई चाहता है कि वो अपने खेत से अच्छी पैदावर प्राप्त करें।

प्राकृतिक खेती कर कई लोग मिसाल कायम कर चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव में बसी जसविंद्र कौर ने भी कुछ ऐसा ही कमाल किया है, जिसके जरिए उनको पहचान मिली है। इस लेख में जानते हैं कि किस प्रकार जसविंद्र कौर ने प्राकृतिक खेती कर अपना खुद का बिजनेस खड़ा किया है।

खेत में उगाई सब्जियों का बनाती हैं अचार

जब तक हम दूसरों की बनाई लीक पर चलते रहते हैं, तो दूसरों की भांति ही होते हैं, लेकिन जब हम उस लीक से हटकर कुछ करते हैं, तो दुनिया हमें जानती है। ऐसा ही कुछ जसविंद्र कौर ने किया है, जो हिमाचल प्रदेश के शिमला के सिरमौर जिले की गांव काशीपुर की रहने वाली हैं।

जसविंद्र कौर के अचार और मुरब्बे के लोग इतने दिवाने हैं कि 7500 फीट ऊंचा गांव होने पर भी सीखने वाली महिलाओं की भीड़ वहां कम नहीं होती। अन्य किसानों की भांति जसविंद्र कौर  भी मामूली किसान थी, लेकिन उन्होंने कुछ लीक से हटकर करने की सोची और प्राकृतिक खेती करने लगीं। अपने खेत में उगाए फल और सब्जियों से अचार और मुरब्बा बनाकर बेचने लगीं।

अंग्रेजी सब्जियों की करती हैं अच्छी पैदावर

जसविंद्र कौर देशी सब्जियां तो अपने खेत में उगाती हैं, वो अंग्रेजी सब्जियां जैसे कैबेज, लेट्युस आदि भी उगाती हैं, जिनकी मार्केट में काफी मांग है और मुनाफा भी अच्छा मिलता है। जसविंद्र कौर ने अपने बगीचे में कई प्रकार के फल लगाएं है, जो सालभर फल देते हैं।

 किसान जसविंद्र कौर का कहना है कि उन्होंने अमरूद, आंवला, नीबूं, सेब, पपीता आदि फलदार पेड़ लगा रखे हैं, जिनका अचार और मुरब्बा बेचने पर अच्छी कमाई हो जाती है। माना जाता है कि उनका अचार इतना स्वादिष्ट होता है कि लोग अन्य अचार के मुकाबले महंगा होने पर भी उसे शौक से खरीदते हैं।

प्राकृतिक खेती करने पर मिल चुके हैं कई पुरस्कार

किसान जसविंद्र कौर उनके पति काफी सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और लोगों को सीखा भी रहे हैं। जसरविंद्र कौर को रेणुका पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और राष्ट्रीय विकास और पंचायत राज विकास के द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। बता दें कि जसविंद्र कौर से प्राकृतिक खेती और अचार बनाना सीखने के बाद कई महिलाओं का रुझान इसकी तरफ बढ़ा है और वो अचार बनाकर भी बेचती हैं और दुकान भी लगाती हैं।

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