इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल यानि ई-सिम। कंपनी फोन को मैन्युफैक्चर करते समय ईसिम का निर्माण करती है। ई सिम फिजिकल सिम नहीं होता लेकिन इसमें फिजिकल सिम के सारे फीचर मिलते हैं। कंपनी फोन को मैन्युफैक्चर करते समय ईसिम का निर्माण करती है। इससे फोन का स्पेस को बचता है साथ ही अलग से सिम ट्रे बनाने की जरुरत भी नहीं पड़ती है। ई-सिम- फोन नंबर के सिम कार्ड का डिजिटल वर्जन होता है जो ट्रैवलर्स के लिए फायदेमंद है। सैमंसग और गूगल जैसे हेंडसेट मेकर जल्द ही ई-सिम को फॉलो कर सकते हैं। इससे फोन का स्पेस को बचता है साथ ही अलग से सिम ट्रे बनाने की जरुरत भी नहीं पड़ती है। आजकल कई फोन्स में ईसिम का चलन चल रहा है। हालांकि, सर्विस को लेकर ईसिम और रेगुलर फिजिकल सिम में कोई अंतर नहीं है।
फोन चोरी होता है तो चोर ई-सिम नहीं हटा सकेगा
किसी भी मोबाइल नेटवर्क के सर्विस प्लान से ई-सिम एक्टिवेट कर सकते हैं। रिसर्च फर्म रेकॉन एनालिटिक्स के रॉजर एंटनर कहते हैं, हम पसंद करें या नापसंद ई-सिम तो आ रही है।टेक्नोलॉजी के सिक्योरिटी से संबंधित फायदे अलग हैं। अगर फोन चोरी हो जाता है तो चोर ई-सिम नहीं हटा सकेगा। ई-सिम एपल तक सीमित नहीं है। इससे लोग फिजिकल सिम कार्ड के लिए स्टोर में जाए बिना सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को बदल सकेंगे। अमेरिका में ट्रैवल के लिए ई-सिम डेटा प्लान का उपयोग सुविधाजनक और किफायती साबित हो रहा है।
नई टेक्नोलॉजी के साथ नुकसान भी जुड़े
। हमेशा की तरह नई टेक्नोलॉजी के साथ कुछ नुकसान भी जुड़े रहते हैं। प्राइवेसी के सवाल भी हैं। कई ई-सिम सर्विस प्रोवाइडर ऐसे एप ऑफर करते हैं जिनका उद्देश्य डेटा जुटाना होता है। ई-सिम के साथ विदेशी नेटवर्क पर डेटा प्लान एक्टिवेट करना सिम कार्ड से अलग होगा। जो लोग टेक्नोलॉजी से पूरी तरह परिचित नहीं होते हैं उनके लिए यह काम मुश्किल होगा। पांच साल पहले तक इंटरनेशनल रोमिंग के लिए ई-सिम डेटा प्लान की कीमत बहुत अधिक थी। सर्विस भी कई बार कमजोर रहती थी। पिछले साल से सुधार हुआ है।
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