क्या आपका बॉस भी आपको Weekly Off के दिन ऑफिस बुलाता है। अगर हां, तो जानकारी के लिए बता दें कि अब पशुओं को भी वीकली ऑफ मिलने की परंपरा शुरू हो गई है। जब पशुओं को संडे की छुट्टी मिल सकती है तो आपको क्यों नहीं। अब पशु भी संडे के दिन काेई काम नहीं करते हैं। यहां तक कि दूध देने की भी छुट्टी….।
झारखंड राज्य के अधिकतर गांवों में यह परंपरा है। मवेशियों को भी एक दिन का अवकाश दिया जाता है। अवकाश के लिए भी रविवार का दिन चुना गया है। इस दिन मवेशियों से किसी तरह का कोई काम नहीं लिया जाता है।यहां तक कि इन पशुओं का दूध भी नहीं निकाला जाता है। जानकारी के मुताबिक यहां कॉम्प ऑफ की कोई सुविधा नहीं है। संडे यानि एंज्वाय।
सालों पुरानी है Weekly Off की परंपरा
यह परंपरा करीब 20 गांवों में है। लोगों का कहना है कि यह परंपरा 100 साल से अधिक समय से चली आ रही है। युवा पीढ़ी भी इस परंपरा से सहमत है। लोगों का मानना है कि चाहे नुकसान हो या फायदा आगे भी यह परंपरा जारी रहेगी। डॉक्टर्स भी इस परंपरा से सहमत हैं।
read also: News editor से बना पत्रकार पोहा वाला, ऑफिस के बाहर लगाई स्टॉल
बैल मरने के बाद शुरू की थी Weekly Off की पहल
ग्रामीणों का कहना है दस दशक पहले खेत में काम करने के दौरान एक बैल की मौत हो गई थी। बैल की मौत लगातार काम करने की वजह से हुई थी। किसी भी ग्रामीण के लिए उसके मवेशी की मौत सबसे दुखदायी होती है। इसके बाद निर्णय लिया गया कि अब एक दिन इन्हें भी ऑफ दिया जाएगा। इसके बाद से रविवार का ही दिन पशुओं के ऑफ के लिए तय किया गया।
नहीं निकाला जाता दूध
वीक ऑफ के दिन पशुओं से कोई काम नहीं कराया जाता। उन्हें खेत में या किसी बोझा ढोने के लिए बाजार भी नहीं ले जाया जाता। इसके साथ ही भैंस या गाय का दूध भी नहीं निकाला जाता है। यह दिन पशुओं के विश्राम का रहता है।
Wow… I listened first time about animals week off. Bahut acchi jaankari di.
Good work…keep it up…