Heat stroke-गर्मी का मौसम शुरु हो गया है ऐसे में लू लगना स्वभाविक है। इस मौसम में खुद को गर्मी से बचाने के लिए तरह-तरह के तरीके लोगों द्वारा आजमाएं जाते हैं। काम करना भी जरुरी है इसके लिए आप घर के अंदर भी नहीं रह सकते।
मई शुरु होने वाली है और तापमान में बढ़ोतरी होनी भी शुरू हो गई है। ऐसे में आपको लू से बचने के लिए तमाम इंतजाम करने पड़ेगें। आज के इस लेख में आपके लिए जानकारी लेकर आए हैं कि आपको लू से कैसे बचना है और लू किस प्रकार आपको लग सकती है।
लू लगने के कारण-due to heat stroke
- तापमान में बढ़ोतरी होने पर लू लगती है।
- तापमान 40 डिग्री स ऊंचा जाता है, तो शरीर को ठंडा रखना मुश्किल होता है।
- पसीना जल्दी सूख जाता है और शरीर थर्मोरेग्यूलेशन में असमर्थ हो जाता है।
- थर्मोरेग्यूलेशन शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की प्रक्रिया है।
- गर्म हवा पसीना सोख लेती है और शरीर को ठंडा नहीं होने देती।
- कम आर्द्रता शरीर को डिहाइड्रेट भी करती है, जिससे लू लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- पानी नहीं पीने के कारण भी लू लग सकती है।
- गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चों को जल्दी लू लगती है।
- शराब पीने वालों को भी लू लगने का खतरा होता है।
- ज्यादा गर्म चीजों का सेवन करने वाले लोगों को भी लू लग सकती है।
लू से बचने के उपाय-Ways to avoid heat stroke
गर्मी में तापमान बढ़ोतरी के साथ लू लगने का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में आपको खान पीन कपड़ों का विशेष ध्यान रखना होता है। लू लगने से बचने के लिए आपको नियमित रुप से पानी पीना है और ors घोल भी पी सकते हैं।
इस दौरान आपको हल्के रंगों के ढीले सुती कपड़े पहनने हैं। आपको धूप से बचना चाहिए। दोपहर के समय ज्यादा जरुरी हो, तभी बाहर निकलें। अगर बाहर जा रहे हैं, तो सिर पर कपड़ा ओढ़कर जाएं। आपको इस मौसम में सुबह और शाम नहाना जरुरी है।
लू लगने से बचने के अन्य उपाय-Other measures to avoid heat stroke
- आपको पौष्टिक भोजन खाना है।
- हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।
- लिक्विड ज्यादा मात्रा में पीएं।
- पानी की ज्यादा मात्रा वाले फल खाएं।
- इस समय शराब और कैफीन का प्रयोग कम कर दें।
- इस मौसम में भूखे पेट बाहर न जाएं।
- अचानक ठंडे तापमान से गर्म तापमान में भी न जाएं।
- आप बेल जूस, नींबू पानी, नारियल पानी जैसे लिक्विड लें।
लू लगने के लक्षण-symptoms of heat stroke
- तेज बुखार।
- सिरदर्द।
- चक्कर आना।
- उल्टी आना।
- थकान।
- मासंपेशियों में ऐंठन।
- दस्त लगना।
- त्वचा का गर्म होना।
- पेशाब कम और बिल्कुल पीला आना।
- बेहोशी होना।
- आलस्य आना।
आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें।
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