हरियाणा बोर्ड के 10वीं 12वीं के दाखिले की प्रक्रिया को जटिल बताते हुए महाराम यादव ने निंदनीय बताया है। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के जिला प्रधान महाराम यादव ने बयान जारी करके हरियाणा के स्कूलों में गरीब छात्रों के स्कूल बदलने के नाम पर बोर्ड द्वारा लिए जाने वाले अनावश्यक शुल्क और दस्तावेजों का विरोध किया है। उन्होंने बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं उनके अभिभावक ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। लेकिन बोर्ड द्वारा जारी दिशा निर्देश इन छात्रों की पढ़ाई में बाधक सिद्ध हो रहे हैं दस्तावेज अत्यंत कठिन और जटिल है। जिनको इकट्ठा करना अभिभावकों द्वारा आसान नहीं है। ऐसा लगता है इस तरह के निर्णयों से सरकारी शिक्षा की व्यवस्था के ढांचे को बर्बाद करने के लिए किए जाते हैं।
सत्यापन प्रक्रिया पूरी कराएं
महाराम यादव
हसला प्रधान, गुरुग्राम
अगर बोर्ड व सरकार, सरकारी विद्यार्थियों व स्कूलों के हितैषी हैं तो यह अपने स्तर पर ही फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं । फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बोर्ड द्वारा उठाये गये कदम के लिए हसला संगठन बोर्ड का स्वागत करता है। लेकिन जो तरीका अपनाया गया है वह बहुत जटिल है, साथ में 1000 से ₹3000 शुल्क वसूल करना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है । यह निर्णय सरकारी स्कूलों के खिलाफ शिक्षा विभाग के नियमों के विपरीत एक बड़ी साजिद साबित होने जा रही है। शायद यह उन निजी स्कूलों के पक्ष में निर्णय है जो नियमित संबंधपता या मान्यता भी नहीं ले रहे हैं। इस प्रक्रिया में मांगे गए दस्तावेज संबंधित स्कूलों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह शुल्क कुल वार्षिक शुल्क का 7-8 गुणा है। यह कदम बोर्ड के उच्च अधिकारियों को तुरंत वापस लेना चाहिए जिससे अभिभावक-छात्र हित सुरक्षित रहे और भारी परेशानी से बच सकें।