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हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) के राज्य प्रधान सतपाल सिन्धु ने हरियाणा के स्कूलों में गरीब छात्रों से स्कूल बदलने के नाम पर भिवानी बोर्ड द्वारा लिए जाने वाले शुल्क व अनावश्यक दस्तावेजों मांगे जाने का विरोध किया है। राज्यप्रधान ने कहा कि हरियाणा के स्कूलों में भिवानी बोर्ड द्वारा जारी पत्र गरीब छात्रों की पढाईं में बाधक सिद्ध होगा। भिवानी बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अत्यंत गरीब तबके के छात्र पढ़ाई करते हैं उनमें से ज्यादातर छात्रों के अभिभावक अनपढ़ हैं। बोर्ड द्वारा जारी पत्र में जो दस्तावेज मांगे जा रहे हैं वो अनावश्यक और जटिल हैं और इनको इकट्ठा करना अभिभावकों के लिए असंभव है। यह निर्णय प्रदेश की सरकारी शिक्षा के ढांचे के लिए घातक सिद्ध होगा।

विद्यार्थियों से शुल्क वसूलना गलत

सुशील कटारिया का कहना है कि यदि बोर्ड चेयरमैन की मंशा सरकारी शिक्षा के प्रति सही है तो बोर्ड अपने स्तर पर दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया को पूरी करे। बोर्ड चेयरमैन की तरफ से दिए गए तर्क अनुसार ये कदम फर्जीवाड़े को रोकने के लिए किया जा रहा है। फर्जीवाड़े को रोकने के कदम का हसला संगठन स्वागत करता है, लेकिन 1000- 3000 रुपये शुल्क वसूलना तर्कसंगत नहीं है। अतः हसला इसका संगठन विरोध करेगा।

सरकारी स्कूलों के खिलाफ है फैसला

राज्य सचिव सुशील कटारिया का कहना है कि यह निर्णय सरकारी स्कूलों के खिलाफ और स्कूल शिक्षा विभाग की नीतियों के विपरीत एक बड़ी साजिश है। यह उन निजी स्कूलों के पक्ष में है जो नियमित संबद्धता या मान्यता भी नहीं ले रहे हैं। इस प्रक्रिया के लिए माँगे गए लगभग सभी दस्तावेज संबंधित स्कूलों के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। प्रसंस्करण शुल्क कुल वार्षिक शुल्क का 7-8 गुना है। यह कदम बोर्ड के अध्यक्ष के कुछ अतिरिक्त आधिकारिक हितों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।

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