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मुस्लिम समाज का सबसे मुबारक महीना रमजान करीब 31 साल बाद मार्च माह में आया है। इस बार पहला रोजा जुम्मे के दिन था और मुबारक माह के आखिरी दिन भी जुम्मा है। इस बार रमजान में पांच बार जुम्मे की नमाज अदा होगी। इससे पहले वर्ष 1992 में रमजान मार्च में शुरू हुआ था। चूंकि रमजान हर वर्ष 10 दिन पीछे खींचता है। ऐसे में आगामी 2 साल तक यह मार्च में ही पड़ेगा।

हिसार मस्जिद के इमाम ने बताया कि रमजान हर साल 10 या 11 दिन पीछे आता है। इस बार ईद 22 अप्रैल को मनाई जाने की संभावना है। रमजान को इबादत और बरकत का महीना कहा जाता है। रोजा रखने वाले की नीयत साफ होनी चाहिए। यह माह हमें अपनी तौबा की माफी मांगने का मौका देता है।

सिर्फ जुबान का नहीं नजर का भी होता है रोजा

इस महीने अल्लाह गुनाहों को माफ करता है। दुआओं को कबूल करता है और फरिश्तों को हुकुम देता है कि रोजा रखने वालों की दुआ पर आमीन कहो। जो शख्स ईमान के साथ अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखता है, अल्लाह उसके पिछले तमाम गुनाहों को माफ कर देता है। भूख रहना ही बस कुछ नहीं। रोजेदार को अपने शब्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। किसी को बुरा न कहो। अपने मन के मैल को दूर कर प्यार का संदेश दें। सिर्फ जुबान का नहीं नजर का भी रोजा होता है। किसी औरत पर बुरी नजर न रखें।

मुसलमानों के लिए रमजान महीने की अहमियत

रमजान माह की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इन्हीं दिनों पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जरिये अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) जमीन पर उतरी थी। कुरान में बताया गया है कि अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद साहब पर कुरआन-ए-पाक 23 साल में नाजिल हुआ। इस पर अमल करके ही दुनिया में अमर और शांति कायम की जा सकती है। पूरा कुरआन-ए-पाक एक दफा नहीं नाजिल हुआ बल्कि जरूरत के मुताबिक 23 वर्षों में थोड़ा-थोड़ा नाजिल हुआ। कुरआन शरीफ के किसी एक हर्फ लफ्ज या नुक्ते को कोई बदलने की कोशिश करे तो बदलना मुमकिन नहीं।

रमजान की ये हैं 3 अशरे

रमजान के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं। इसमें खुदा की इबादत, नमाज और दान करते हैं। यह पहला अशरा होता है। रमजान का दूसरा अशरा भी 10 दिन का होता है। इसमें जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए माफी मांगी जाती है। नेक बंदों को खुदा रहमत और बरकत देते हैं। रमजान के आखिरी 10 दिन तीसरा अशरा होता है, इसमें लोग खुदा से दुआ करते हैं कि उनको उनके किए पापों से मुक्ति मिले और मौत के बाद अल्लाह की पनाह मिले। खुदा उन्हें जहन्नुम की आग से बचाए।

27 तारीख सबसे खास

माह रमजान में 21, 23, 25, 27 और 29 तारीखें खास हैं। इन सभी तारीखों में सबसे खास रमजान की 27 तारीख को माना जाता है। क्योंकि इसी पाक तारीख को अल्लाह की तरफ से कुरान आसमान से जमीन पर उतारा गया था। शब-ए-कदर की इस आखिरी अशरे की तारीखों में तलाश की जाती है। हदीस में शब-ए-कदर की बहुत अहमियत बताई गई है।

इस बार आखिरी रोजा सबसे लंबा
इस बार सबसे लांबा रोजा 21 अप्रैल को होगा। इस दिन रोजेदार को करीब 14 घंटे 32 मिनट का रोजा रखना होगा।

 

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