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आध्यात्मिक क्षेत्र में रुद्राक्ष का बेहद महत्व है। यह एक तरह से एक फल की गुठली है। भारतीय पूजा अनुष्ठानों में पाठ के कामों में रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। ऐसा माना जाता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। आध्यामिक गुणों के साथ ही इसके औषधीय गुण भी खास हैं। इसका प्रयोग ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल सामान्य करने के लिए किया जाता है। लोग मेले आदि में से रुद्राक्ष खरीदते हैं। लेकिन आप इसे घर पर भी आसानी से उगा सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे अपने घर में रुद्राक्ष का पौधा तैयार कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने खेतों में भी रुद्राक्ष की खेती कर सकते हैं। बाजार में इसकी मांग बहुत रहती है।

देश के इन क्षेत्रों में उगाया जाता है रुद्राक्ष

देश के कई हिस्सों में रुद्राक्ष की खेती की जाती है। हालांकि अब इसका ट्रेंड बढ़ा है। लोग अपनी दिलचस्पी के अनुसार घरों में भी उगा रहे हैं। यह निम्नलिखित जगहों पर ज्यादा उगाया जाता है-

  • मध्यप्रदेश,
  • अरुणांचल प्रदेश,
  • गढ़वाल,
  • हरिद्वार,
  • बंगाल,
  • असम
  • देहरादून
  • मैसूर,
  • नीलगिरी,
  • कर्नाटक
  • रामेश्वरम आदि स्थानों पर उगाया जाता है।

घर में उगाते समय इन चरणों का करें पालन

रुद्राक्ष पौधे को घर में उगाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. पौधों का चयन: बीज की जगह रुद्राक्ष के पौधे को घर में लगाना उचित है। रुद्राक्ष के पौधों को उगाने के लिए सही साइज और आकार का चयन करना जरूरी है। आप अपने नजदीकी नर्सरी से या ऑनलाइन रुद्राक्ष पौधों की खरीदारी कर सकते हैं।
  2. उगाना: रुद्राक्ष पौधों को जलने की जगह से दूर जगह पर रखें। एक मिट्टी के गमले में मिट्टी को भरें और उसमें एक छोटा सा गड्ढा बनाएं। इसके लिए गार्डन की मिट्टी 60%, खाद 30% और कोकोपीट 10% का मिश्रण तैयार करें।  अब रुद्राक्ष के पौधे को उस गड्ढे में डालें और अच्छी तरह से सीधा करें। फिर उसे हल्की धूप में रखें। ध्यान रखें कि रुद्राक्ष का पेड़ अगर अच्छे से ग्रो करे तो ये 60-80 फीट ऊंचा भी हो सकता है। तो इसे खुली जगह पर ही उगाएं। गमले की जगह इसे सीधे गड्‌डे में ही उगाएं। अन्यथा बाद में गमला फोड़कर जमीन में लगाना पड़ेगा।
  3. देखभाल: रुद्राक्ष पौधों को ताजा पानी से नियमित रूप से सींचें। इन पौधों को धूप और अधिक गर्म जगहों से दूर रखें। इन्हें नियमित रूप से खाद दें और उन्हें स्वस्थ और सुगन्धित बनाने के लिए नियमित रूप से खेती करें।
  4. तेज धूप से बचाएं: रुद्राक्ष अधिकतर ठंडक वाली जगह पर होते हैं। लेकिन इन्हें गर्म स्थानों पर भी उगाया जा रहा है। बस इसे तेज धूप से बचाने की जरूरत होती है। लेकिन इसका पौधरोपण सर्दियों में ही करें।अधिक तापमान वाले स्थानों पर इसे शेड में रखें। दोपहर की सीधी धूप से इसे बचाएं। सर्दियों के समय इसे धूप में रखा जा सकता है।
  5. छंटाई-   रुद्राक्ष की छंटाई समय-समय पर जरूरी भी है। जब रुद्राक्ष करीब 8 फीट तक आ जाए तो इसकी छंटाई शुरू कर दें। इसकी प्रूनिंग करने से नई ब्रांच खिलने का मौका मिलेगा।
  6. नीले रंग का आएगा फूल– रुद्राक्ष के पेड़ पर दो से तीन साल के बीच में फल आना शुरू हो जाता है। अगर रुद्राक्ष का पौधा अच्छे से ग्रो कर रहा है तो दो साल में ही फल आएगा। अगर सही से ग्रो नहीं हुआ है तो तीन साल में फल आ जाएगा। इस पर फल नीले रंग का आता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

रुद्राक्ष के पेड़ पर फल कभी भी आ सकता है, इसमें कोई निश्चित महीना या समय नहीं होता है। रुद्राक्ष पेड़ की उम्र फल उत्पादन पर प्रभाव डाल सकती है। फल उत्पादन की दर पेड़ के आकार, उम्र, वातावरण और पौधे की सेहत पर निर्भर करती है। रुद्राक्ष का फल मुख्य रूप से बीज की तरह दिखता है। फल तब तक पका नहीं माना जाता है जब तक वह पेड़ से नहीं गिर जाता है। फलों का उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है, जो उनकी बढ़ती मांग के कारण उनके मूल्य को बढ़ाता है।

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