Buttermilk in plants- छाछ यानि लस्सी पीना हर किसी को पसंद है। गर्मियों में इसकी मांग और बढ़ जाती है। पल में शीतलता का अनुभव करवाने वाली लस्सी आपके पौधों के लिए बहुत जरुरी है। आज के इस लेख में हम आपको पौधों में लस्सी क्यों डालनी चाहिए इस बारे में बात करेंगे।
बिना देर किए जानते हैं बटरमिल्क पौधों में डालने के फायदे और नुकसान के बारे में। इस आर्टिकल में हम आपको ये भी बताएंगे की कौन से पौधों को छाछ देनी चाहिए और कौन से पौधों में इसका प्रयोग नहीं करना है।
पौधों में छाछ देने का फायदा(Benefits of giving buttermilk to plants)
- छाछ खाद के रुप में काम करती है।
- इसके इस्तेमाल से पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है।
- छाछ से फंगल और बुरे बैक्टरिया से पौधे बच जाते हैं।
- ये पौधों को हराभरा रखने में सहयोगी है।
- खट्टी छाछ पौधों के लिए बेस्ट होती है।
- आप छाछ इकट्ठी करके इसमें तांबा का बर्तन डूबोएं और फिर पौधों में दें।
- छाछ में कैल्शियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस होता है।
- ये पौधों की पत्तियों और जड़ों में पोषण देने का काम करती है।
- इसके प्रयोग से फल और फूल जल्दी आना शुरु हो जाते हैं।
- इसके उपयोग से मिट्टी पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से ऑब्जर्व करती है।
- इसके प्रयोग से पौधों के विकास में कोई कमी नहीं आती है।
इन पौधों में करें छाछ का प्रयोग(Use buttermilk in these plants)
- ब्लुबेरी
- स्ट्राबेरी
- बेलपत्र
- करी पत्ता
- पारिजात
- पुदीना
इन पौधों में न डालें छाछ(Do not put lassi in these plants)
- टमाटर
- मशरुम
- गोभी
इन पौधों में क्यों नहीं डालनी चाहिए खाद(Why should fertilizer not be applied to these plants?)
- इन पौधों में कैल्शियम की मात्रा होती है।
- छाछ डालने से ये मात्रा बढ़ जाती है।
- इससे पौधों को नुकसान पहुंचता है।
ऐसे करें छाछ का प्रयोग(Use buttermilk like this)
- एक भाग छाछ और पांच भाग पानी के मिलाकर आपको घोल तैयार करना है।
- आप दो सप्ताह में पौधों की पत्तियों और जड़ों के आसपास ये घोल डालें।
- इसका छिड़काव करना आपके पौधे के लिए लाभकारी होता है।
- आप तांबे के बर्तन में भी छाछ को रख सकते हैं।
- तांबे का कोई टुकड़ा भी छाछ के अंदर डालें।
- कुछ दिन बाद आपके पास बेस्ट लिक्विड फर्टिलाइजर तैयार होगी।
छाछ का प्रयोग करते समय बरतें सावधानी(Be careful while using buttermilk)
- छाछ हर पौधे के लिए लाभकारी नहीं है।
- छाछ का प्रयोग सीमित मात्रा में ही पौधों में करें।
- छाछ खाद की तरह काम करती है ये पूरी तरह से खाद नहीं है।
- दो-तीन सप्ताह के अंतराल में ही इसका प्रयोग करें।
- आपको पौधे में कुछ नुकसान लग रहा है, तो प्रयोग करना बंद कर दें।
- हालांकि ये असर देर से करती हैं, लेकिन जबरदस्त करती है।
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