ज्यादातर घरों में सामन्य हमेशा पीले या हल्के भूरे रंग का गेहूं से रोटियां बनाईं जाती हैं। लेकिन गेहूं की भी कई वैरायटी होती हैं। इसमें से एक है काला गेहूं इसमें सामान्य गेहूँ की तुलना में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती हैं। इससे बनी चपाती का रंग भले ही देखने में काला भूरा होने के कारण अकसर लोगों को पसंद नहीं आता, लेकिन ये सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है।
सामान्य गेहूं के मुकाबले काला गेहूं डॉइबिटीज, ब्लड प्रेशर और दिल के मरीजों के लिए बहुत लाभकारी होता है। अगर आप दवाओं से बचना चाहते हैं तो काले गेहूं के आटे से बनी रोटी रोज खा सकते हैं। प्रति एकड़ में 15-20 क्विंटल तक पैदावार मिलती है। एक एकड़ खेत में िकसान 1.20 लाख तक आराम से कमा सकते हैं।
सही मात्रा में मिलता है फाइबर
काले गेहूं में मौजूद मैग्नीशियम उच्च मात्रा में पाया जाता है, जिससे शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर को सामान्य बना रहता है। दिल की बीमारियों के होने का खतरा कम होता है, क्योंकि काले गेहूं में ट्राइग्लिसराइड तत्व मौजूद होते हैं। काले गेहूं का नियमित सेवन करने से शरीर को सही मात्रा में फाइबर प्राप्त होता है जिससे पेट के रोगों खासकर कब्ज में लाभ मिलता है।
इंफेक्शन को ठीक करने में मदद मिलती है
रोजाना काले गेहूं का अलग अलग रूपों में सेवन करने से शरीर में फाइबर का स्तर बेहतर होता है और आंतों के इंफेक्शन को ठीक करने में मदद मिलती है। काले गेहूं में नियमित सेवन से शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। इसमें फाइबर से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पाचन संबंधी समस्याओं के अलावा पेट के कैंसर से भी निजात मिलती है।
कई गुना ज्यादा होता है पौष्टिक
कोराना के बाद लोग अपने खाने- पीने की चीजों का ज्यादा ध्यान रखने लगे हैं। पिछले दो साल से काला गेहूं स्वस्थ रहने का बेहतर जरिया बनता जा रहा है। काला गेहूं शुगर के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह सामान्य गेहूं के मुकाबले जल्दी पच जाता है। शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों के बहुत उपयोगी है।
आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकता है
काले गेहूं के रोजाना सेवन करते से एनीमिया की बीमारी दूर हो सकती है प्रोटीन, मैग्नीशियम के अलावा आयरन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है काला बाजार में इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। यह बाजार में सामान्य गेहूं की तुलना में चार गुणा अधिक दामों में बिकता हैं। इसकी बाजार में कीमत आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल तक है। इसका उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है, बस इसका ख्याल थोड़ा ज्यादा रखना पड़ता है।