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Bioenzyme-बागवानी का शौक सबको है। हर कोई छोटी सी जगह में भी सब्जियां उगा रहे हैं। बहुत से लोगों ने छत पर बढ़िया किचिन गार्डन तैयार कर रखा है। हर कोई आर्गेनिक खाना पसंद करता है। 

मार्केट में हर चीज में मिलावट है। सब्जियों की ग्रोथ के लिए  लोग कैमिकल के इंजेक्शन लगाते हैं, जो नुकसानदायक है। इसलिए बेहतर है थोड़ा समय निकालकर आप गार्डनिंग कर ही लीजिए।  बेशक थोड़ी सब्जियां उगाएं, लेकिन घर की खाएं।

आर्गेनिक सब्जियां उगा रखी है, तो फर्टिलाइजर भी इनमें आर्गेनिक ही देने होंगे। आज के इस लेख में हम आपको गिलोय से बायोएंजाइम तैयार करने की विधि बताएंगे। ये बायोएंजाइम एक बार पौधे में डाल दिया तो आपके पौधों की ग्रोथ रोके नहीं रुकेगी। पौधे लंबे भी इसके डालने से चलते हैं। 

बायोएंजाइम बनाने के लिए सामग्री

  1. गिलोय
  2. हल्दी
  3. गुड़
  4. एलोवेरा
  5. पानी

बायोएंजाइम बनाने की विधि

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गिलोय वाला ये बायोएंजाइम बनाना बहुत आसान है। गिलोय की मोटी स्टेम लेनी है। इसको बारीक-बारीक क्रश कर लेना है या कूट लेनी है। इसके बाद आपको एलोवेरा के छोटे-छोटे पीस करने हैं। 1-2 चम्मच हल्दी की लेनी है। एक छोटा टुकड़ा काले वाला गुड़ लेना है। 

एक डिब्बे में पानी डालना है। डब्बे को पूरा न भरते हुए ऊपर से थोड़ा खाली छोड़ दें। इसमें इन सभी चीजों का एड कर दें। उसके बाद डिब्बे का ढ़क्कन बंद करें। इस डब्बे को आपको अंधेरे में रखना है। 2-3 दिन में एक बार ढ़क्कन खोलकर गैस निकाल दें। 40 दिन तक ऐसा करें। 40 दिन बाद आपका बायोएंजाइम तैयार हो जाएगा। 

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बायोएंजाइम पौधे में डालने का तरीका

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  1. हमेशा सीमित मात्रा में इसका प्रयोग करना है। 
  2. इसको डायरेक्ट नहीं डालना है। 
  3. हमेशा पानी के साथ डायलुट करके डालें। 
  4. एक बड़े मग पानी में 2 ढ़क्कन बायोएंजाइम के डालें। 
  5. इसका स्प्रे पत्तियों पर कर सकते हैं। 
  6. गमले की मिट्टी में भी आप ये बायोएंजाइम डाल सकते हैं। 

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बायोएंजाइम के फायदे

  1. पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 
  2. पत्तियां हरी-भरी और मजबूत होती है। 
  3. पौधे की ग्रोथ दोगुनी रफ्तार से होती है। 
  4. फल और फूलों की संख्या बढ़ती है। 
  5. फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। 
  6. मिट्टी में ह्यूमस की मात्रा बढ़ती है।
  7. पौधों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करता है।
  8. पौधों को गर्मी, ठंड और सूखे जैसे तनाव से बचाता है।

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