नेचर लवर्स के तमाम अभियानों के बाद भी आधुनिकता की दौड़ में लोग प्रकृति से छेड़छाड कर रहे हैं। भविष्य की चिंता किए बगैर ही इमारतों और सड़कों के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। नेचर लवर्स इन्हें रोकने के लिए धरने पर बैठते हैं तो कोई पेड़ लगाकर संतुलन का प्रयास कर रहा है। वहीं हमारे साथ एक ऐसी नेचर लवर है जो अपने अनोखे अंदाज में प्रकृति को सहेजने का काम कर रही है।
हिसार की रहने वाली अचला बंसल पेड़ों की कटी टहनियों और सूखे बीजों को पेंटिग्स में बदल देती है। जो लोग पेड़ों की टहनियों को काटकर सड़क पर फेंक आते हैं। वही लोग अचला की रचनात्मकता के मुरीद हो रहे हैं। उन्हीं कटी टहनियों की पेंटिग्स को घरों में सजा रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे अपनी कला का दीवाना कर रही हैं अंचला बंसल….
पहले कहा पागल और अब करते हैं सपोर्ट
अचला बंसल ने बताया कि पहले जब वह सड़क से कटी हुई टहिनयों को उठाने के लिए जाती तो लोग उन्हें पागल समझते थे। वहीं परिवार वाले भी उनका साथ नहीं दे रहे थे। लेकिन उन्होंने अपनी रचनात्मकता के साथ इन टहनियों की पेंटिग शुरू की। वह बताती है कि पहले वह इन्हें सूखने का इंतजार करती हैं। उसके बाद उन्हें लंबे समय तक टिकने वाले कलर्स से सजाती है और फ्रेम में सेट करती हैं। वे जड़ों के लिए भी पेड़ों के अवशेषों को चयनित करती हैं। कई बार वह पेड़ों के फलों या फूलों के सूखने के बाद निकले बीजों का ही प्रयोग करती हैं।
पेंटिग्स की है ऑनलाइन डिमांड
अचला हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में अपनी पेंटिग्स की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। जिसके बाद लोगों ने उनकी कला को पहचाना है। अब लोग उनकी पेंटिग्स की ऑनलाइन डिमांड करते हैं। वह एक पेंटिग को 200 से 400 रुपये तक में बेचती हैं। इसके साथ ही वह लोगों की डिमांड पर भी पेंटिग बनाती है।
पौधों और सूखी टहनियों से सजाया है पूरा घर
नेचर लवर निर्जीव चीजों में भी सजीवता खोज ही लेते हैं। इसी तरह अचला ने भी अपने घर को प्रकृति के इन रुपों से ही सजाया है। सूखी टहनियां, फेंका गया नारियल का वेस्ट, दीए आदि को अनोखा रूप देकर घर को बेहतरीन बनाया है। अब उनके परिवार वाले भी घर को सजाने में उनकी पूरी मदद करते हैं।
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घर के वेस्ट को भी बना देती हैं बेस्ट
अचला सिर्फ प्रकृति की चीजें ही नहीं घर के कचड़े को भी बेस्ट बना देती है। वह टूटी बोतलों से गमले बनाती हैं। जिसमें सक्युलेंट, मनीप्लांट जैसे पौधे उगाती हैं। वह बहुत सी महिलाओं के लिए वर्कशॉप आयोजित कर उन्हें घर के वेस्ट को प्रयोग करने के तरीके बताती हैं। वह देश के कई हिस्सों में सेमिनार ले चुकी हैं। ग्रामीणों को प्रशिक्षण भी देती हैं।