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प्रकृति ने हमें पेड़ पौधों के रुप में बहुत सुंदर उपहार दिया है, जो हमें कई समस्याओं से बचाते हैं और हमारे काम आते हैं। अमलतास का पौधा भी काफी लोकप्रिय है। पीले फूलों से लदा हुआ ये पौधा काफी सुंदर नजर आता है। आज के इस लेख में अमलतास पौधे के बारे में जानते हैं और इसके औषधियों गुणों की चर्चा करते हैं। चलिए जानते हैं अमलतास पर कौन से फूल खिलते हैं और कब खिलते हैं।

अमलतास का पौधा

अमलतास का वैज्ञानिक नाम Cassia Fistula है। भारत में लगभग सभी राज्यों में इसको पौधे पाए जाते हैं। अमलतास पर पीले रंग के फूल खिलते हैं, जो सुंदर होते हैं। गर्मियों में यानि अप्रैल-मई के महीने में ये पेड़ पूरी तरह से फूलों से लद जाता है। बता दें कि इसके फूल काफी चमकीले होते हैं, जो दूर से ही लोगों को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं।

अमलतास के पौधे को लेकर एक लोक मान्यता ये है कि इस पौधे पर फूल खिलने के 45 दिन बाद बारिश का आगमन हो जाता है। अमलतास के पौधे के काफी प्रयोग है और इसमें कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है। अमलतास के पौधे के फल, फूल, छाल, जड़ सभी चीजों का उपयोग किया जाता है।

अमलतास के औषधीय गुण

  • अमलतास पर लगने वाले फल का काढ़ा दमा रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है।
  • अमलतास के फल में इमली मिलाकर काढ़ा पीने से पुराने कफ का इलाज हो जाता है।
  • इसके फल का काढ़ा पाचन तंत्र को मजूबत बनाता है और पेट से संबंधित बीमारियों का इलाज करता है।
  • अमलतास के फल से गुलकंद भी बनाया जाता है, जो कब्ज जैसी समस्या के लिए उपयोगी है।
  • अमलतास, चमेली और करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीसकर लेप लगाने से बवासीर ठीक होती है।
  • इसके गुदे का इस्तेमाल मुंह के छाले दूर करने के लिए भी किया जाता है।
  • इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बुखार में राहत मिलती है।
  • त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए भी ये कमाल की औषधी है।
  • शरीर की इम्यूनिटी पावर भी इससे मजबूत होती है।
  • घावों को भरने के लिए भी अमलतास का प्रयोग किया जाता है।
  • अमलतास,मकोय और कनेर के पत्तों की पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करना लाभकारी है।
  • अमलतास के फूलों से सुंगधित तेल भी बनाया जाता है।
  • दाद या खुजली होने पर इसके फल को पीसकर प्रभावित जगह पर लगाना लाभकारी रहता है।
  • इसको फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से दागधब्बों के साथ टेनिंग दूर होती है।
  • अमलतास की पत्तियों का रोज सेवन करने से गठिया में राहत मिलती है और सूजन कम होती है।
  • शुगर के लिए इसकी छाल का अर्क बनाकर सेवन करना लाभकारी रहता है।
  • अमलतास के पेड़ की छाल को छिलने पर लाल रंग का गाढ़ा पदार्थ निकलता है, जो सूखने पर गोंद जैसा हो जाता है।

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अमलतास के अन्य नाम

  • इंडियन लैबरनम (Indian Laburnum)
  • परजिंग फिसट्युला (Purging Fistula)
  • कैसिआ (Cassia)
  • गोल्डन शॉवर (Golden Shower)
  • चमकानी (Chamkani)

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नोट- ये लेख सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। ज्यादा जानकारी के लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं और किसी विषय पर जानकारी प्राप्त करने के लिए कमेंट कीजीए और अपनी राय और सुझाव भी हमें बताइए। द यूनिक भारत से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद।

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