बागवानी की दिशा में हर दिन नए प्रयास किए जा रहे हैं। कम जगह में बागवानी के शौक को पूरा करने के लिए टेरेस और बाल्कनी गार्डन की शुरूआत हुई। वहीं बहुत से लोगों ने छत और बाल्कनी में भी जगह की कमी की समस्या को उठाया। ऐसे में इस प्राब्लम का सॉल्यूशन बने हैं दिल्ली के पति पत्नी।
पति मिथलेश कुमार सिंह और पत्नी विंध्यवासिनी ने मिलकर फ्लैट की छत पर एक बगीचा तैयार किया है। खास बात है कि सब्जियों के पौधों को PVC पाइप में उगाया गया है। पांच फुट ऊंचे और छह इंच चौड़े पाइप में मिथलेश अन्य गमलों व ग्रो बैग के मुकाबले 5 गुना ज्यादा पैदावार ले रहे हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस इनोवेटिव आइडिया से टैरेस गार्डनिंग की जा रही है।
PVC पाइप में सब्जियां उगाने की ऐसे हुई शुरुआत
दिल्ली उत्तम नगर में ओम विहार के निवासी मिथिलेश कुमार सिंह अपनी छत पर कई सालों से गार्डनिंग कर रहे थे। लेकिन जिसमें सिर्फ फूलों वाले व जंगली पौधे थे। लेकिन कोराेना के दौरान में उनकी गार्डनिंग ने नया रूप लिया। मिथिलेश बताते हैं कि वे कोविड टाइम में अपनी पत्नी के साथ समय बिता रहे थे। उसी दौरान उनकी पत्नी बाेली कि क्यों न अब हम छत पर सब्जियां उगाएं। लेकिन यह सिर्फ 50 गज की छत थी। अगर सब्जियों के लिए बहुत अधिक गमले रखे जाते तो बच्चों के खेलने के लिए कोई स्पेस ही नहीं बचता। ऐसे में दोनों ने जगह और मेहनत को कम करने के लिए पीवीसी पाइप में सब्जियां उगाने का सोचा। सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से रिसर्च करने के बाद उन्होंने पाइप में पौधरोपण शुरू किया। कई बार असफलता भी मिली। लेकिन अब उन्होंने पाइप की लंम्बाई, पौधों के लिए सही दूरी व पानी का सही तरीका का निकाल लिया। अब बड़ी मात्रा में वे इसी छत पर 5 गुना ज्यादा सब्जियाें की पैदावार ले रहे हैं।
कैसे होती है अधिक पैदावार
मिथिलेश सिंह का कहना है कि इसमें ग्रो बैग या अन्य प्लांटर से ज्यादा पैदावार होती है। उसका मुख्य कारण है कि यह पाइप चौड़ाई में सिर्फ 6 इंच का होता है जबकि गमला या प्लांटर 12 से 15 इंच का हेाता है। लेकिन इतनी चोड़ाई होने के बाद भी हम इसमें दो से तीन पौधे ही लगा सकते हैं। वहीं पीवीसी पाइप में 6 से 7 पौधे आसानी से लगाए जा सकते हैं। क्योंकि यह लंबाई में 6 फुट तक का हो सकता है। पीवीसी पाइप में सब्जियां ग्रो करने पर फ्रूटिंग अच्छी होती है। क्योंकि पौधे की जड़ें फैलने की जगह वर्टिकल में ज्यादा गहराई तक जा सकती हैं। मिथलेश का कहना है कि वह ग्रो बैग व पीवीसी पाइप दोनों में सब्जियां उगा रहे हैं। वह दोनों की फ्रूटिंग में कोई खास अंतर नहीं देखते हैं।
पूरी तरह जैविक खेती
विध्यवासिनी का कहना है कि कम जगह में ज्यादा सब्जियां उगाने से ज्यादा उनका फोकस ऑर्गेनिक सब्जियाें पर था। वह परिवार के लिए जहरमुक्त सब्जियां उगाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपनी किचिन को ही खाद का साधन बनाया। वह सब्जियों के छिलकों के साथ ही चावल-दाल धाेने के बाद निकले हुए पानी को भी पौधों में डालती हैं। उनका कहना है कि वह किसी भी कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करती हैं। यह गार्डन पूरी तरह नेचुरल है।
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