सावन का महीना बड़ा पवित्र माना जाता है। इस महीने में मां पार्वती और शिव शंकर की अराधना की जाती है। कुंवारी लड़किया सोमवार के व्रत रखती हैं और हाथों में मेंहदी लगाती हैं। शादीशुदा महिलाओं के लिए भी सावन का महीना बड़ा खास होता है। हाथों में मेंहदी लगाकर हरी चुड़िया पहनकर सावन के महीने में महिलाएं गौरी और शिव की अराधना दांपत्य जीवन सुखमय हो इसलिए करती हैं। माना जाता है कि कुंवारी लड़कियों को भी सावन में शिव की अराधना करने पर मनचाहा वर प्राप्त होता है।
सावन के महीने को लेकर कई प्रकार की मान्यातएं है। माना जाता है कि नवविवाहिता इस दौरान अपने मायके में चली जाती है। आज के इस लेख में जानते हैं कि नई दुल्हन का सावन में अपने मायके जाना क्यों जरुरी है?
ये भी है जरुरी-बुधवार को सुसराल जाने पर हो सकता है बवाल
ये भी है जरुरी-पति की लगाई बंदिशें, बना देती हैं रिश्ते का मजाक
सावन में नई दुल्हन के मायके जाने के पीछे का धार्मिक कारण
मान्यता है कि शादी के बाद जब पहला सावन आता है, तो दुल्हन को अपने मायके में चले जाना चाहिए। सावन के महीने को सुख और खुशहाली का प्रतीक माना गया है। इस महीने में नई दुल्हन को अपनी सास के पास नहीं रहना चाहिए उसे अपने मायके चले जाना चाहिए। हर नव विवाहिता के लिए ये जरुरी माना गया है।
- शादी के बाद पहले सावन में मायके जाने पर दोनों परिवारों के बीच मेलजोल बढ़ता है।
- मायके और ससुराल के बीच सामंजस्य की स्थिति बनी रहती है।
- बेटी से घर का भाग्य जुड़ा हुआ होता है, ऐसे में इस महीने में वो मायके जाती है तो उसका भाग्य घर के भाग्य को नियंत्रित करता है। बेटी अपने घर जाकर वहां खुशियां लाती है ऐसा माना जाता है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये भी माना जाता है कि शादी के बाद पहला सावन मायके में रहने से पति-पत्नी के संबंध आजीवन सुखमय रहते हैं। दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। इसलिए नव विवाहिता को अपने मायके में अपना पहला सावन मनाना चाहिए।
- मान्यता ये भी है कि जब शादी के बाद बेटी सावन में घर आएं, तो उसके हाथों से तुलसी का पौधा जरुर लगवा लें।
ये भी है जरुरी-मायके जाते ही क्यों पुराने कपड़े पहनकर आता है सुकून
ये भी है जरुरी-बेर खाने के अनगिनत फायदे, शरीर बन जाएगा फौलाद
ये लेख सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। द यूनिक भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है। ज्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञ की राय लें।