किसान पारंपरिक खेती से हटकर अन्य फसलों में हाथ आजमा रहे हैं। इसके साथ ही किसानों ने ऑर्गेनिक खेती की प्रणाली को अपनाना शुरू कर दिया है। हालांकि बड़ी संख्या में किसानों को लगता है कि ऑर्गेनिक खेती नुकसान का सौदा होती है क्योंकि इसमें उत्पादन कैमिकल वाली खेती से कम होता है। लेकिन इस भ्रांति को बिल्कुल गलत साबित कर रहे हैं गुरुग्राम पटौदी के अशोक कुमार। किसान अशोक कुमार ऑर्गेनिक शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने पहली ही फ्रूटिंग में अपनी लागत निकाल ली है और मुनाफा भी कमा लिया है। इस लेख में हम अशोक जी जानें कि कैसे ऑर्गेनिक शिमला मिर्च से मुनाफा कमा रहे हैं।
कैमिकल खेती में हुआ था नुकसान
अशोक लंबे समय से खेती कर रहे हैं। उन्होनें 2014 से ऑर्गेनिक खेती करना शुरू किया। इससे पहले तक वे कैमिकल की खेती कर रहे थे। जिसमें उन्होंने काफी नुकसान भी उठाया है। किसान अशोक का कहना है कि कैमिकल फर्टिलाइजर्स काफी महंगे आते हैं। जबकि जैविक में सभी मुफ्त होता है। यानि जीवामृत, घनामृत, गाेबर खाद आदि जैविक फर्टिलाइजर्स खुद ही तैयार किए जा सकते हैं। इसमें खर्चा कम आता है। जबकि कैमिकल्स काफी महंगे होते हैं। ऐसे में ये स्वास्थ्य के लिए भी जहर के समान हैं। इसलिए कैमिकल की खेती हर किसान के लिए नुकसान का सौदा है। वे जब से जैविक खेती कर रहे हैं, उन्हें फायदा ही फायदा हो रहा है।
खेती में लागत और मुनाफा
अशोक ने बताया कि उन्होंने 3000 स्वाअर मीटर में शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। इसमें 50 से 55 हजार का खर्चा हुआ है। वहीं वे अब तक 1 से 1.5 लाख रुपये तक कमा चुके हैं। अभी फ्रूटिंग की हो रही है। उनका कहना है कि उन्हें एक भी बार कैमिकल लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। वे हर सप्ताह नीम तेल का छिड़काव करते हैं।
मल्चिंग और ड्रिप इरीगेशन
अशोक सब्जियों की खेती में मल्चिंग करते हैं। उनका कहना है कि खेती में ड्रिप इरीगेशन की व्यवस्था करनी चाहिए। इसमें आवश्यकतानुसार पानी लगता है। क्योंकि पौधों को ज्यादा पानी नहीं बल्कि नमी की जरूरत होती है। इसके साथ ही मल्चिंग से नमी बनी रहती है। खरपतवार नहीं होती है। इसलिए मल्चिंग और ड्रिपइरीगेशन सिस्टम हर खेती में जरूरी है।