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 बिहार, पंजाब, मध्यप्रदेश, यूपी और पश्चिम बंगाल में सत्तू प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। भूने हुए चने या जौ का सत्तू तेज गर्मी में भी पेट को ठंडक देता है। एनर्जी बूस्टर होने के चलते इसे देसी हॉरलिक्स कहा जाता है। सुबह खाली पेट सत्तू पीना सबसे फायदेमंद होता है। पहला कारण यह है कि इससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है। आज कोल्डड्रिंक युग में भी सत्तू का महत्व कम नहीं हुआ है। सत्तू गर्मियों में सेवन किये जाने वाला खाद्य पदार्थ है। ना सिर्फ सत्तू की तासीर ठंडी होती है बल्कि इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद रहते हैं। 

 

 

 

सुबह सत्तू पिएं, दिन में खाएं

आयरन भी भरपूर है इसलिए जिन्हें खून की कमी है उन्हें सत्तू पीना चाहिए। सत्तू को समर ड्रिंक भी कहा गया है। सुबह खाली पेट पीने से पेट ठंडा रहता है। सत्तू में फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर होते हैं। गर्मियों के दिन हैं। सड़क किनारे ठेले पर सत्तू के शरबत मिल जाएंगे। घर पर इसे आसानी से तैयार किया जाता है। इनसे ब्लड शुगर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम की भी मात्रा अधिक होती है।

 

रात में सत्तू नहीं पीना या खाना चाहिए

सत्तू में हाई प्रोटीन होता है। इसमें और भी कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार, सत्तू की तासीर ठंडी होती है इसलिए रात में सत्तू नहीं पीना या खाना चाहिए। इससे अपच होती है। कई बार अनजाने में लोग रात में भी सत्तू का शरबत पी लेते हैं या सत्तू खा लेते हैं। पेट में एसिडिटी बनने लगती है। सुबह सिर दर्द और जुकाम भी हो सकता है।

 

 

 

 

अधिक मात्रा में पीने से डायरिया होने का रिस्क

हाई ब्लड प्रेशर वालों को सत्तू कम मात्रा में लेना चाहिए। सत्तू अधिक मात्रा में पीने से डायरिया होने का रिस्क रहता है। चना या जौ को भून कर सत्तू पाउडर बनाया जाता है। लेकिन यह ग्लूटन फ्री नहीं होता। ब्लोटिंग और पेट में गैस भी ज्यादा बनने लगता है। सत्तू में सोडियम की मात्रा भी अधिक होती है। जिन्हें डायिबटीज है उन्हें भी सत्तू का सेवन करने में सावधानी बरतनी चाहिए।

 

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कितने तरह के सत्तू खाए जा सकते हैं

पंजाब में जौ के सत्तू को पानी में घोलकर, उसमें नींबू का रस मिलाकर लिया जाता है। बिहार, झारखंड और यूपी में चने का सत्तू ज्यादा खाया जाता है जबकि पंजाब में बार्ली और जौ का सत्तू खाया जाता है। चने का सत्तू ही नहीं, गेहू, बार्ली और जौ का भी सत्तू आसानी से बाजार में मिल जाता है। सभी तरह के सत्तू में प्रोटीन और फाइबर की अधिक मात्रा होती है।

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