वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन माता सीता का जन्म हुआ था। जिसकी वजह से इस नवमी को सीता जयंती के तौर पर मनाया जाता है। वहीं राम का जन्म चैत्र की नवमी को हाेने में चैत्र की नवमी को राम नवमी कहते हैं। सीता नवमी को जनक नवमी भी कहा जाता है। क्योंकि सीता जी के पिता मिथिला के राजा जनक थे। उनके पिता के नाम से ही इन्हें जानकी भी कहा जाता है। सीता नवमी (Sita Navami) के दिन माता सीता और भगवान राम की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। जानकी नवमी, राम नवमी से ठीक एक माह बाद आती है। गुरुग्राम के ज्योतिषाचार्य गाेविंद दास ने बताया कि सीता नवमी की तिथि कब है। इसका पूजा मुहूर्त, शुभ योग आदि क्या रहेगा।
सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
गोविंद दास जी ने बताया कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 28 अप्रैल दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 01 मिनट से हो रहा है। यह मुहुर्त अगले दिन 29 अप्रैल शनिवार को शाम 06 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। ऐसे में सूर्य उदित 29 अप्रैल को हाे रहा है। ऐसे में सीता नवमी 29 अप्रैल को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ हो रहा है। यह दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। पूजा 2 घंटे 37 मिनट तक की जा सकेगी।
पूजन विधि (Sita Navami 2023 Puja Vidhi)
- माता जानकी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठें।
- इसके बाद तन और मन से पवित्र हो जाएं।
- अपने घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- उस पर माता जानकी और भगवान राम की प्रतिमा या फोटो लगाएं।
- सियाराम को फल, फूल, चंदन, आदि अर्पित करें।
- शुद्ध घी का दीया जलाएं।
- माता जानकी के मंत्र ‘ॐ सीतायै नमः’ का जप करें।
- पूजा में विशेष रूप से लाल रंग के फूल और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।