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हम पूजा के दौरान फूलों का उपयोग करते हैं। भगवान को सुंदर-सुंदर पुष्प अर्पित करते हैं। पूजा में रंग-बिरंगे फूलों का होना बहुत जरूरी है। माना जाता है कि भगवान को फूल अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है, केतकी का फूल भगवान शिव के चरणों में कदापि अर्पित नहीं करना चाहिए। ये फूल भगवान के चरणों में चढ़ाना अशुभ माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण…

फूल को शिव के चरणों में नहीं चढ़ाने के पीछे की कहानी…

केतकी का फूल

बताया जाता है कि एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में बहस हो गई। दोनों भगवान खुद को श्रेष्ठ कहने लगें। तभी भगवान शिव खंबे के रुप में वहां पर प्रकट हुए। भगवान शिव ने दोनों से कहा, जो भी उनका अंतिम सिरा पहले ढूंढेगा यानी ज्योतिर्लिंग का आखिरी सिरा पहले ढूंढेगा वो ही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। शिव की इस घोषणा के बाद दोनों छोर ढूंढने के लिए निकल पड़े। भगवान विष्णु ऊपरी छोर का पता लगाने लगे तो वहीं भगवान ब्रह्मा निचले छोर का पता लगाने चले गए।

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बह्मा ने शिव से बोला झूठ

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब लाख कोशिशों के बावजुद विष्णु अंतिम छोर नहीं ढूंढ पाए, तो उन्होंने अपनी हार भोलेनाथ के समक्ष स्वीकार कर ली। ब्रह्मा को भी अंतिम छोर नहीं मिला, लेकिन उन्होंने ये स्वीकार नहीं किया। उन्होंने भगवान शिव से झूठ बोला।

केतकी के फूल को ब्रह्मा ने बनाया गवाह

माना जाता है कि जब ब्रह्मा को अंतिम छोर नहीं मिला तो, उन्होंने शिव से झूठ बोला। अपने इस झूठ में उन्होंने केतकी को शामिल किया। केतकी का पौधा ब्रह्मा के साथ था। जब वो शिवलिंग का अंतिम छोर ढूंढने निकले थे। तब ब्रह्मा ने अपनी साजिश में केतकी के फूल को शामिल किया था।

केतकी के फूल को शिव ने दिया श्राप

कहा जाता है ब्रह्मा का झूठ शिव के सामने आ गया। शिव ने ब्रह्मा पर बहुत गुस्सा किया और उनका पांचवा सिर काट दिया। केतकी के फूल को भी भगवान भोलेनाथ ने श्राप दिया। उन्होंने अपनी पूजा में केतकी के फूल को चढ़ाया जाना वर्जित कर दिया।

आप जब भी महादेव की पूजा करते हैं, तो इस बात का ध्यान देना है कि केतकी का फूल नहीं चढ़ाना। केतकी का फूल शिव के चरणों में चढ़ाना अशुभ होता है।

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