एलोवेरा की बहुत सारी प्रजातियां होती हैं और हर किसी का प्रयोग खाने या फेस पर लगाने के लिए नहीं किया जाता है। एलोवेरा की कुछ प्रजातियां जहरीली होती है।
एलोवेरा के आमतौर पर मोटे पत्ते होते हैं और आगे की तरफ झुके हुए होते हैं।नुकीले पत्तों के चारों तरफ कांटे जैसे होते हैं और बीच में से नई पत्ती उगती है।
एलोवेरा की नई पत्तियों में सफेद कलर के धभ्बे होते हैं और बड़े पत्ते बेदाग हो जाते हैं। ये पत्ते आगे की तरफ झुके हुए होते हैं, पत्तों का रंग हरा होता है।
एलोवेरा का प्रयोग कभी भी सीधा नहीं करना चाहिए। प्रयोग करते समय इसके अंदर निकलने वालला यलो पदार्थ हटाना जरुरी होता है।
एलोवेरा के अंदर मौजूद येलो पदार्थ को एलोइन बोला जाता है, जो हानिकारक होता है। इसके सेवन से डायरिया, ऐठन आदि परेशानियां हो सकती है।
एलोवेरा की पत्तियों को पानी से धोकर यूज करना चाहिए या फिर किसी साफ कपड़े से उसको पोंछकर यूज करना चाहिए।
एलोवेरा की कई प्रजातियां जहरीली होती है, लेकिन बारबैंडेंसिस प्रजाति खाने योग्य होती है।
एलोवेरा खाने के नुकसान भी होते हैं, अगर कुछ दिनों तक एक ग्राम से ज्यादा इसका सेवन किया जाता है तो किडनी फेल हो सकती है।
एलोवेरा में लेटेक्स होता है, जिसका ज्यादा सेवन कैंसर, डायरिया और पेट से संबंधित बीमारियां पैदा कर देता है।