सब्जियों में टमाटर को सबसे अहम माना जाता है। टमाटर मे आवश्यक खनिज, लवण जैसे विटामिन कैल्शियम आयरन कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व प्रचुर मात्रा मे पाए जाते हैं। टमाटर को परिरच्छित करके जैसे केचप ,चटनी, सॉस,अचार आदि उत्पाद बनाकर लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। टमाटर की वैसे तो साल में तीन बार फसल ली जाती है, लेकिन उन्नत किस्म के बीज और नई तकनीक से टमाटर की खेती की जाए तो एक हैक्टेयर में 50 टन से अधिक की उपज ली जा सकती है। क्योंकि टमाटर कि खेती मे लागत कम और उपज व आमदनी अधिक होती है।
पूरे साल होती है खेती
टमाटर की मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में बुआई की जाती है। किसान को पूरी तरह से खेत में समर्पित होना होगा। आजकल किसान प्लास्टिक मल्च और ड्रिप इरिगेशन जैसी नई तकनीक अपनाकर अच्छी उपज ले रहे हैं। मन मे कुछ करने का जज्बा हो, मुश्किलें आसान हो जाती है। आज हम ऐसे ही किसानों के बारे में जानेंगे, जो अब मुनाफे वाली खेती की तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। डूंगरपुर में टमाटर की बीज और टमाटर की खेती से किसान तीन माह में तीन लाख से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत खेती छोड़ नई तकनीकी अपनाते हुए किसान समृद्धि की इबारत लिख रहे हैं।
तीन महीने के तीन लाख से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहें हैं
डूंगरपुर के सीमलवाड़ा क्षेत्र में अम्बाऊ कस्बे के किसान टमाटर के बीज की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं । क्षेत्र की टमाटर उत्पादन में नई पहचान बनती जा रही है। टमाटर की खेती से किसानों को आर्थिक लाभ होता है। करीब 10 से 12 किसान आज इस खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं। डूंगरपुर के किसानों का पारंपरिक खेती से मोह भंग हो गया है। अब किसान मुनाफ़ा वाली खेती की तरफ़ अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। डूंगरपुर के एक गांव में एक दर्जन से ज़्यादा किसान टमाटर की बीज और टमाटर की खेती कर तीन महीने के तीन लाख से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
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किसानों ने छोड़ी पारंपरिक खेती
डूंगरपुर के किसानों का कहना है कि पहले हम गेंहू, चना मक्का की खेती करते थे लेकिन, जब हमें पता चला कि टमाटर की खेती में मोटा मुनाफा है, तो बाहर मजदूरी करने जाना छोड़ दिया और पारंपरिक गेंहू ,चना मक्का की खेती छोड़कर टमाटर की खेती में लग गए। किसानों ने बताया कि 100 से 150 फीट खेत में खुदाई, जुताई कर पॉली हाउस, शेड नेट हाऊस एवं प्लास्टिक मल्चिंग तैयार खेत में टमाटर लगाते हैं। तीन माह तक इसमें कृषि संबंधित कार्य करते हैं और तीन माह बाद फसल तैयार हो जाती है। गुजरात से उमंग कंपनी द्वारा पौधे दिए जाते हैं। नए वैज्ञानिक तरीके से यहां के किसान 4 से 6 फीट के टमाटर के पौधे तैयार कर रहे हैं। एक पौधे से करीब 20-22 बार टमाटक तोड़े जाते हैं। प्रति बीघा 40 से 50 हजार का खर्च आता है।
टमाटर के बीज की खेती कैसे करें
किसानों के अनुसार सबसे पहले खेत कि खुदाई, जुताई कर के पॉली हाउस, शेड नेट हाउस एवं पारे बना के प्लास्टिक मल्चिंग तैयार किया जाता है। बाद में एक या दो फिट की दूरी पर टमाटर के पौधे लगाए जाते हैं। ड्रिप द्वारा 10 से 15 दिन में पानी देते रहते हैं। टमाटर के पौधे को लकड़ियों के सहारे या अन्य जीचों के सहारे से खड़ा करते हैं, ताकि वजन के कारण झूक न जाए। पौधों को अच्छी हवा मिलती रहे।