धान यानी चावल की खेती के लिए सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। पानी बिना धान की खेती करना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार भी चिंता में है कि लंबे समय तक धान की खेती कैसे की जाएगी। वैज्ञानिकों द्वारा अब ऐसी कई तकनीकें विकसित की जा चुकी हैं, जिनसे किसान कम पानी में भी धान की खेती कर सकते हैं। इसी दिशा में जापान के एक किसान ने एसी तकनीक कर नाम कमाया जिसमें बिना पानी ही चावल की खेती करके दिखा दी थी। उनका नाम मसानोबु फुकुओका है। मसानोबु जापान के थे। उन्होंने सूखी जमीन में धान की खेती करके दिखाई। इस खेती की कई अहम बातें थी। सभी बातें आपको इस लेख में बताई जाएंगी।
नहीं करते थे कीटनाशक का इस्तेमाल
मसानोबू धान की खेती में न तो कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे और न ही बुवाई से पहले खेत की जुताई करते थे। मसानोबू की यह तकनीक काबिले तारीफ है। मसानोबू की इस तकनीक की मदद से उन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता था। ऐसे में भारत के किसान भी इस तकनीक की मदद से कम पानी में धान की खेती कर सकते हैं। खेती में रुचि रखने वाले मसानोबू ‘द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन’ के लेखक थे। यह किताब चावल की खेती में की जाने वाली तकनीकों पर है। इस किताब में ही मसानोबू ने बताया है कि कैसे आप कम पानी या बिना पानी में भी चावल की खेती कर सकते हैं।
क्या थी मसानोबू की तकनीक
- इस तकनीक में सूर्य का प्रकाश पत्तियों से पौधे की जड़ों तक जाता है। अगर आप धान के पौधे को सूखे खेत में उगाते हैं तो वह लंबा नहीं होता है। इससे कम ऊंचाई का फायदा मिलता है। इससे सूर्य का प्रकाश पौधे के प्रत्येक भाग पर पड़ता है।
- इसमें बीज को थोड़ा गहरा बोते हैं ताकि 1 वर्ग गज में लगभग 20 से 25 पौधे उग सकें।
- बिना पानी चावल की खेती करने से जड़ें मजबूत होती हैं। जिससे पौधों में कीटों के प्रकोप की संभावना कम होती है.
- खेतों में धान की बुवाई से 1 हफ्ता पहले खेतों में पानी को रोक लिया जाता है। इसका मुख्य कारण यह था कि खेती में पानी की कमी की वजह से खरपतवार मर जाते है। इसका फायदा यह मिलता था कि इससे फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता था।
- शुरुआत में खेतों की सिंचाई नहीं की जाती। खेतों में पानी ना लगे इसका भी ध्यान रखा जाता है।